Saturday, Jun 10, 2023
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Supreme Court order to stop the campaign against encroachment in Jahangirpuri rkdsnt

जहांगीरपुरी में बुलडोजर अभियान के बाद सुप्रीम कोर्ट हुआ सक्रिय, दिया आदेश

  • Updated on 4/20/2022

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, राष्ट्रीय राजधानी के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में अधिकारियों द्वारा चलाए जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान पर रोक लगा दी। न्यायालय ने दंगों के मुस्लिम आरोपियों के मकानों को तोड़े जाने संबंधी जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिका पर संज्ञान लेने के बाद यह आदेश दिया।  

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    प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूर्वाह्न में मकानों को गिराए जाने के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। पीठ ने दिन में उस समय फिर हस्तक्षेप किया जब उसे बताया गया कि अधिकारी इस आधार पर कार्रवाई नहीं रोक रहे हैं कि उन्हें कोई आधिकारिक सूचना नहीं प्राप्त हुई है। पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं।

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पीठ ने मुस्लिम संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे की दलीलों पर गौर करते हुए सर्वोच्च अदालत के महासचिव को निर्देश दिया कि वह उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के महापौर और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को ङ्क्षहसा प्रभावित जहांगीरपुरी में विध्वंस रोकने के उसके सुबह के आदेश से तत्काल अवगत कराएं। दवे ने कहा, 'मुझे इसका फिर से उल्लेख करते हुए खेद है... सुबह मैंने इस मामले का जिक्र किया था। (रोक) आदेश की सूचना देने के बावजूद वे (अधिकारी) विध्वंस को नहीं रोक रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं मिली है। मैं महासचिव से पुलिस आयुक्त और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर और आयुक्त को आदेश के बारे में बताने का अनुरोध करता हूं।’’      उन्होंने तत्काल आ?वश्यक कार्रवाई करने की अपील करते हुए कहा, च्च्अन्यथा बहुत देर हो जाएगी।’’ 

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इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, च्च्ठीक है। सर्वोच्च अदालत के महासचिव के माध्यम से तत्काल इसकी सूचना दें।’’ वरिष्ठ अधिवक्ता दवे ने कहा कि न्यायालय के आदेश की सुबह मीडिया द्वारा व्यापक रूप से रिपोर्ट की गई और इसके बाद भी अधिकारी उस पर अमल नहीं कर रहे हैं। इससे पहले पूर्वाह्न में, दवे ने अतिक्रमण हटाने के लिए एनडीएमसी और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) सहित नागरिक निकायों के विशेष संयुक्त अभियान के खिलाफ जमीयत की याचिका का उल्लेख किया और कहा कि 'पूरी तरह से अनधिकृत और असंवैधानिक विध्वंस' का आदेश दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कार्रवाई बुधवार को दोपहर दो बजे शुरू होने वाली थी लेकिन उसे सुबह नौ बजे ही शुरू कर दिया गया और कथित उल्लंघनकर्ताओं को कोई अनिवार्य नोटिस नहीं दिया गया है। 

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वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल भी मुस्लिम संगठन की ओर से पेश हुए और उन्होंने एक अन्य याचिका का उल्लेख किया जिसमें केंद्र और मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश सहित कुछ राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे दंगों के आरोपियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही में इमारतों को गिराने जैसी 'कार्रवाई जल्दी नहीं करें।’’      पीठ ने आदेश दिया, ‘‘श्री दुष्यंत दवे द्वारा उल्लेख किए जाने पर, हम मामले को कल यानी 21 अप्रैल को (अन्य याचिका के साथ) किसी उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं... यथास्थिति, जो आज मौजूद है, अगले आदेश तक बनी रहेगी।'

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