Thursday, Mar 30, 2023
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supreme court refuses to hear plea to declare joshimath crisis as national disaster

जोशीमठ संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने संबंधी याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

  • Updated on 1/16/2023

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालती हस्तक्षेप के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि चूंकि राज्य का उच्च न्यायालय ‘‘इससे जुड़े विस्तृत मामलों की सुनवाई कर रहा है'' इसलिए सैद्धांतिक रूप से उसे ही इस मामले पर सुनवाई करनी चाहिए। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जोशीमठ में लोग मर रहे हैं जिसपर न्यायालय ने कहा, ‘‘आप अदालत की इस सुनवाई का इस्तेमाल सोशल मीडिया में साउंड बाइट के लिए नहीं करना चाहते।''

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प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा एवं न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने याचिकाकर्ता स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को अपनी याचिका के साथ उत्तराखंड उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘सैद्धांतिक रूप से हम उच्च न्यायालय को इस मामले से निपटने की अनुमति देते हैं। उच्च न्यायालय इससे सबंधित विस्तृत मामलों को सुन रहा है, हम आपको उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की छूट देते हैं।'' पीठ ने कहा, ‘‘इस सुनवाई के दौरान जिस खास मामले को रेखांकित किया गया है उसे उचित समाधान के लिए उच्च न्यायालय में उठाया जा सकता है। हम इसी के अनुरूप याचिकाकर्ता को अनुमति देते हैं कि संबंधित याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष दाखिल करे ताकि उसे लंबित मामलों के साथ सुना जा सके या लंबित मामलों में हस्तक्षेप याचिका के तौर पर स्वीकार किया जा सके। ''

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उत्तराखंड सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से जो मुद्दे उठाए गए हैं उनपर पहले ही कदम उठाए जा चुके हैं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार जैन ने कहा कि लोग मर रहे हैं और भू-धंसाव से प्रभावित लोगों को राहत और उनके पुनर्वास के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। इसपर पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘आप इस सुनवाई का इस्तेमाल सोशल मीडिया पर साउंट बाइट के लिए नहीं करना चाहते, आप प्रभावितों के लिए राहत चाहते हैं।'' शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को अपनी याचिका के साथ उच्च न्यायालय का रुख करने के लिए कहा। बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थानों एवं अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग केंद्र औली का प्रवेश द्वार कहलाने वाला जोशीमठ भू-धंसान के कारण एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। वहां जमीन धंसने के कारण इमारतों, सड़कों और सार्वजनिक अवसंरचना में दरारें आ गई हैं।

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राज्य सरकार को भीषण सर्दी में प्रभावित लोगों को राहत देने और उनके पुनर्वास का बड़ा काम करना है। याचिकाकर्ता की दलील है कि बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण भू-धंसाव हुआ है और इससे प्रभावित लोगों को तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजा दिया जाए। याचिका में अनुरोध किया गया कि न्यायालय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश दे कि वह इस मुश्किल समय में जोशीमठ के लोगों की मदद करे। इस याचिका में कहा गया है, ‘‘मानव जीवन और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी विकास की आवश्यकता नहीं है और अगर ऐसी कुछ चीजें होती भी हैं, तो यह राज्य एवं केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि इसे युद्ध स्तर पर तुरंत रोका जाए।'' 

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