नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें गोवा में 186 पंचायतों के चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी करने और 45 दिन के भीतर मतदान पूरा कराने का निर्देश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने गोवा राज्य द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसमें चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सितंबर के अंत तक समय बढ़ाने का आग्रह किया गया था। न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की अवकाशकालीन पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के 28 जून के आदेश के अनुपालन में 30 जून को चुनाव की अधिसूचना पहले ही जारी की जा चुकी है। पीठ ने कहा, 'यह स्थिति होने के कारण, हमें चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता है।'
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गोवा की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ से कहा कि राज्य केवल डेढ़ महीने का अनुरोध कर रहा है और सितंबर के अंत तक सब कुछ पूरा कर लिया जाएगा। वकील ने तर्क दिया कि पंचायतों का कार्यकाल 18 जून को समाप्त हो गया, जो मानसून के बीच में है, और उच्च न्यायालय ने तुरंत चुनाव की अधिसूचना तथा 45 दिन के भीतर इसे पूरा करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि बजट सत्र जुलाई में है और यहां तक कि सड़क निर्माण या बाढ़ के लिए वित्तीय अनुदान जैसे राहत कार्य भी आदर्श आचार संहिता के लागू होने पर प्रतिबंधित हैं। वकील ने वहां मानसून के दौरान बारिश और बाढ़ की प्रकृति का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारी इन कार्यों में व्यस्त रहेंगे। सुनवाई के दौरान, पीठ ने कहा कि राज्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ आगे बढऩे के लिए बहुत इच्छुक होगा।
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राज्य के वकील ने कहा, 'हम चुनाव प्रक्रिया का पालन करने के लिए काफी उत्सुक हैं। हमें सितंबर के तीसरे सप्ताह तक का समय दें और हम प्रक्रिया पूरी कर लेंगे।' पीठ ने कहा, 'हालांकि, न्याय के हित में, हम यह देखना उचित समझते हैं कि किसी भी कठिनाई के मामले में, राज्य निर्वाचन आयोग आवश्यक निर्देशों के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।' उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि गोवा राज्य में 186 पंचायतों का कार्यकाल 18 जून, 2022 को समाप्त हो गया था और गोवा राज्य निर्वाचन आयोग ने 29 मई, 4 जून, 11 जून, 15 जून तथा 18 जून को चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा था। इसने उल्लेख किया था, 'हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग का दावा है कि गोवा पंचायत और जिला पंचायत (चुनाव प्रक्रिया) नियम, 1996 के नियम 10 (1) के तहत राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने के अभाव में कोई चुनाव नहीं हो सकता है। राज्य सरकार ने इस आरोप का खंडन किया है। उसका कहना है कि राज्य निर्वाचन आयोग विफलता के लिए जिम्मेदार है।’’
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उच्च न्यायालय ने फैसले में यह भी उल्लेख किया था कि राज्य निर्वाचन आयोग का कहना है कि वह राज्य सरकार द्वारा चुनाव प्रक्रिया नियम, 1996 के नियम 10 (1) के तहत तारीख अधिसूचित किए जाने के 30 दिन के भीतर चुनाव प्रक्रिया को पूरा करने के लिए उत्सुक और सक्षम है। इसने कहा था, 'राज्य सरकार, हालांकि, जोर देकर कहती है कि मानसून में चुनाव अनुकूल नहीं हैं, और उन्होंने जानबूझकर इसे सितंबर 2022 तक स्थगित करने का फैसला किया है।'
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उच्च न्यायालय ने राज्य को कार्य अवधि पूरा करने के करीब या कार्य अवधि पूरी कर चुकीं 186 पंचायतों के चुनाव कराने की तारीख तय करते हुए चुनाव प्रक्रिया नियम, 1996 के नियम 10 के तहत तीन दिन के भीतर अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया था। इसने कहा था, 'राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों को राज्य निर्वाचन आयोग से बात करनी चाहिए और चुनाव कराने की सटीक तारीख तय करनी चाहिए। हालांकि, राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चुनाव आज से 45 दिनों के भीतर हों और पूरे हो जाएं।’’
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