नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने डॉक्टरों की याचिका पर नीट-पीजी-2022 परीक्षा स्थगित करने से शुक्रवार को इनकार करते हुए कहा कि विलंब करने से डॉक्टर उपलब्ध नहीं होंगे और मरीजों की देखभाल पर गंभीर असर पड़ेगा। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि परीक्षा स्थगित करने से ‘‘अफरा-तफरी और अनिश्चितता’’ की स्थिति पैदा होगी और छात्रों के एक बड़े वर्ग पर इसका इसर पड़ेगा, जिन्होंने परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया है।
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पीठ ने कहा, ‘‘ दो लाख से अधिक उम्मीदवारों का एक बड़ा वर्ग है जो परीक्षा के लिए तैयारी कर चुका है तथा इस न्यायालय द्वारा परीक्षा आगे और स्थगित किए जाने से उनका कार्यक्रम प्रभावित होगा। इसके नतीजे में अफरातफरी और अस्थिरता की स्थिति पैदा होगी।’ पीठ ने कहा, ‘‘ इस मामले में आवश्यक तौर पर नीतिगत पहलू शामिल है और जबतक अदालत इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाती है कि निर्णय बिना दिमाग लगाए या मनमाने तरीके से अधिकारियों द्वारा लिया गया है, तब तक अदालत द्वारा इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।’’
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पीठ ने कहा कि किसी भी परीक्षा को स्थगित करने के गंभीर असर हो सकते हैं क्योंकि विद्याॢथयों के एक वर्ग की रुचि परीक्षा स्थगित करने में हो सकती है लेकिन अन्य छत्रों के बड़े हिस्से ने अध्ययन किया है और परीक्षा के लिए पंजीकृत कराया है, जो गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
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न्यायालय ने कहा, ‘‘इन सबसे ऊपर मरीजों की देखरेख और इलाज , परीक्षा के लिए पंजीकरण कराने वाले डॉक्टरों और पंजीकरण नहीं कराने वाले डॉक्टरों के प्रतिस्पर्धी हित की लड़ाई में सर्वोपरि होना चाहिए। इसलिए हमारा विचार है कि इस प्रक्रिया में जो राहत मांगी गई है उसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। इसलिए याचिका खारिज की जाती है।’’
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शीर्ष अदालत ने कहा कि इस अदालत द्वारा नीट-पीजी-2022 परीक्षा को स्थगित नहीं करने के फैसले के दौरान सबसे अधिक इस पक्ष पर विचार किया गया कि परीक्षा में देरी करने से अस्पतालों में बहुत कम रेजीडेंट डॉक्टर उपलब्ध हो सकेंगे। न्यायालय ने कहा कि इस साल केवल दो बैच ही उपलब्ध होंगे क्योंकि परीक्षा कराने में देरी हो रही है और इसका नतीजा है कि अस्पतालों में जरूरत के अनुपात में डॉक्टरों की गंभीर कमी आई है।
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पीठ ने कहा कि देश कोविड-19 महामारी की अस्त व्यस्त स्थिति से दोबारा पटरी पर आया है और यह जरूरी है कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा समयसारिणी के अनुपालन को लेकर किए गए फैसले को स्वीकार किया जाए। गौरतलब है कि 10 मई को उच्चतम न्यायालय डॉक्टरों की उन याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया था जिसमें परास्नातक के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-पीजी) 2022 स्थगित करने का अनुरोध किया गया हे। यह परीक्षा 21 मई को होनी है। परीक्षा को इस आधार पर रद्द करने का अनुरोध किया गया है कि इसकी तारीख और नीट-पीजी 2021 के लिए चल रही काउंसलिंग की तारीख एक ही दिन पड़ेगी।
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