नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली के उपराज्यपाल के कार्यालय, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की अस्थायी पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा और अन्य से आम आदमी पार्टी (आप) की महापौर पद की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय द्वारा दायर याचिका पर जवाब मांगा। ओबेरॉय की याचिका में नगर निगम के लिए महापौर का चुनाव जल्द कराने की मांग की गई है। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा कि वह याचिका पर नोटिस जारी कर अगले सोमवार तक उनसे जवाब मांग रही है। आम आदमी पार्टी की नेता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी ने कहा कि सदन का सत्र तीन बार बुलाया गया लेकिन महापौर का चुनाव नहीं हुआ।
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उन्होंने कहा, ‘‘हमें कई आपत्तियां हैं, जिनमें यह भी शामिल है कि एमसीडी की अस्थायी पीठासीन अधिकारी महापौर, उप महापौर और स्थायी समिति के सदस्यों के लिए एक साथ चुनाव कराने पर जोर दे रही हैं। यह दिल्ली नगर निगम अधिनियम के विपरीत है।'' सिंघवी ने कहा कि दूसरा मुद्दा सदन के मनोनीत सदस्यों के मताधिकार का है और इस पर फैसला किए जाने की जरूरत है। पीठ ने सिंघवी से पूछा कि महापौर के लिए मतदान कब निर्धारित है, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि कोई नयी तारीख नहीं दी गई है। पीठ ने इसके बाद मामले को 13 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
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एमसीडी सदन द्वारा तीसरी बार महापौर का चुनाव करने में विफल रहने के एक दिन बाद आप ने मंगलवार को शीर्ष अदालत का रुख किया क्योंकि आप ने पीठासीन अधिकारी के इस फैसले पर आपत्ति जताई कि उपराज्यपाल द्वारा नामित ‘एल्डरमैन' चुनाव में मतदान करेंगे। शीर्ष अदालत ने सिंघवी की दलीलों पर गौर किया कि यह ‘‘लोकतंत्र की हत्या'' थी।
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सिंघवी ने यह कहते हुए याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया कि पीठासीन अधिकारी ने कहा था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243आर के बावजूद मनोनीत सदस्य मतदान करेंगे। अनुच्छेद 243 आर, नगर निगमों की संरचना के मुद्दे से संबंधित है जिसमें कहा गया है: ‘‘खंड (2) में प्रदत्त प्रावधान को छोड़कर, निगम क्षेत्र में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों से सीधे चुनाव द्वारा चुने गए व्यक्तियों द्वारा नगर निगम में सभी सीट को भरा जाएगा और इस उद्देश्य के लिए प्रत्येक निगम क्षेत्र को क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा जिन्हें वार्ड के रूप में जाना जाएगा।''
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भाजपा और आप दोनों ने एक दूसरे पर महापौर के चुनाव को रोकने का आरोप लगाया है। विवाद का विषय ‘एल्डरमैन' की नियुक्ति और सदन में उनके मतदान के अधिकार हैं। एमसीडी में 250 निर्वाचित सदस्यों में से 134 के साथ बहुमत वाली आप ने आरोप लगाया है कि भाजपा मनोनीत सदस्यों को मतदान का अधिकार देकर उसके जनादेश को चुराने की कोशिश कर रही है। आप की ओर से महापौर पद की उम्मीदवार ओबेरॉय ने पूर्व में भी शीर्ष अदालत का रुख किया था और दिल्ली में महापौर का चुनाव समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था, लेकिन छह फरवरी के चुनाव के मद्देनजर याचिका वापस ले ली गई थी।
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