Tuesday, Mar 21, 2023
-->
supreme court seeks response from modi bjp govt on plea law related religious places rkdsnt

धार्मिक स्थलों से जुड़े कानून के खिलाफ याचिका पर मोदी सरकार से मांगा जवाब

  • Updated on 3/12/2021

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा जिसमें 1991 के एक कानून के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती दी गयी है। 1991 के कानून में किसी पूजा स्थल की 15 अगस्त, 1947 की स्थिति में बदलाव या किसी पूजा स्थल को पुन: प्राप्त करने के लिए मुकदमा दर्ज कराने पर रोक है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि 1991 के कानून में 'कट्टरपंथी-बर्बर हमलावरों और कानून तोडऩे वालों' द्वारा किए गए अतिक्रमण के खिलाफ पूजा स्थलों या तीर्थस्थलों के चरित्र को बनाए रखने के लिए 15 अगस्त, 1947 की समयसीमा मनमाना और तर्कहीन’ है। 

ममता पर हमले को लेकर TMC के प्रतिनिधिमंडल ने की चुनाव आयोग से मुलाकात

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। इस याचिका में उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) कानून, 1991 की धारा 2, 3, 4 को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। इसके लिए आधार भी दिया गया है कि ये प्रावधान किसी व्यक्ति या धार्मिक समूह के पूजा स्थल को पुन: प्राप्त करने के न्यायिक सुधार का अधिकार छीन लेते हैं। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यन अदालत में पेश हुए। 

स्कैनिया स्कैम : कांग्रेस गडकरी पर लगे आरोपों को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर

कानून में केवल एक अपवाद बनाया गया है जो अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से संबंधित विवाद से संबंधित है। नयी दलीलें महत्वपूर्ण हैं क्योंकि मथुरा और काशी में धार्मिक स्थलों को फिर से प्राप्त करने के लिए कुछ हिंदू समूहों द्वारा ऐसी मांग की जा रही है। लेकिन 1991 के कानून के तहत इस पर रोक है।     याचिका में दावा किया गया है कि ये प्रावधान न केवल समानता और जीवन के अधिकार का उल्लंघन करते हैं, बल्कि धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का भी उल्लंघन करते हैं, जो संविधान की प्रस्तावना और मूल संरचना का एक अभिन्न अंग है। 

CBI डायरेक्टर की नियमित नियुक्ति संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

याचिका में दावा किया गया है कि कानून के प्रावधान न केवल अनुच्छेद 14 (समानता), अनुच्छेद 15 (धर्म, जाति, जाति, ङ्क्षलग या जन्मस्थान के आधार पर भारतीयों के भेदभाव पर रोक), अनुच्छेद 21 (जीवन की सुरक्षा और निजी स्वतंत्रता), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा) आदि का उल्लंघन करते हैं बल्कि धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का भी उल्लंघन करते हैं जो संविधान की प्रस्तावना और मूल संरचना का अभिन्न अंग है। याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र ने हिंदुओं, जैन, बौद्ध और सिखों के पूजा स्थलों पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ सुधार को रोक दिया है और वे इस संबंध में कोई मुकदमा दायर नहीं कर सकते और न ही किसी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

राहुल गांधी का मोदी सरकार पर हमला, बोले- अब लोकतांत्रिक देश नहीं रहा भारत

 

 

 

 

यहां पढ़े अन्य बड़ी खबरें... 

comments

.
.
.
.
.