नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई कर सकता है। शनिवार को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए आदेश के अनुसार ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करने वाली समिति अंजुमन इंतेजामिया की याचिका पर न्यायमूॢत डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी। उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर प्रस्तावित सुनवाई की तारीख अब तक अपलोड नहीं की गई है।
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शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूॢत जे के माहेश्वरी और न्यायमूॢत हिमा कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के सर्वेक्षण पर यथास्थिति बनाए रखने संबंधी अंतरिम आदेश पारित करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। हालांकि, प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध करने के बारे में विचार करने पर सहमत हो गई। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी द्वारा उल्लेख किए जाने पर हम रजिस्ट्री को निर्देश देना उचित समझते हैं कि वह मामले को न्यायमूॢत डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करे।’’
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अहमदी ने कहा, ‘‘हमने उस सर्वेक्षण को लेकर याचिका दायर की है, जिसका वाराणसी स्थित संपत्ति के संबंध में किए जाने के लिए निर्देश दिया गया है। यह (ज्ञानवापी) पुरातन काल से मस्जिद है और यह (सर्वेक्षण) उपासना स्थल कानून के तहत स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित है।’’ मुस्लिम पक्ष ने उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) कानून, 1991 और उसकी धारा चार का जिक्र किया, जो 15 अगस्त, 1947 को विद्यमान किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक स्वरूप में बदलाव को लेकर कोई भी वाद दायर करने या कोई कानूनी कार्रवाई शुरू करने को लेकर प्रतिबंध का प्रावधान करती है।
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वाराणसी की एक अदालत ने 12 मई को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वेक्षण कराने के लिए अदालत द्वारा नियुक्त आयुक्त को पक्षपात के आरोप में हटाने संबंधी याचिका को खारिज करते हुए 17 मई तक यह काम पूरा करने का आदेश दिया। जिला अदालत ने दो और वकीलों को भी नियुक्त किया, जो कि काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मस्जिद में सर्वेक्षण करने में अधिवक्ता आयुक्त की मदद करेंगे।
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स्थानीय अदालत ने फैसला महिलाओं के एक समूह की याचिका पर सुनाया था, जिन्होंने मस्जिद की बाहरी दीवार पर मौजूद ङ्क्षहदू देवी-देवताओं की मूॢतयों की रोज पूजा करने की अनुमति दिए जाने का अनुरोध किया। मस्जिद प्रबंधन समिति ने मस्जिद के भीतर वीडियोग्राफी का विरोध किया था और अदालत द्वारा नियुक्त आयुक्त पर पक्षपात का आरोप लगाया था। इस विरोध के बीच सर्वेक्षण का काम कुछ देर के लिए रोक दिया गया था।
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