नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उत्तर प्रदेश भर में हुए सर्वे में करीब 7500 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को चिन्हित किया गया है। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि सभी जिलों में मदरसों के सर्वे का काम लगभग पूरा हो चुका है। 15 नवम्बर तक जिलाधिकारी के जरिए सर्वे की रिपोर्ट शासन स्तर तक भेजी जाएगी। मदरसों के सर्वे का काम पूरा करने की आखिरी तारीख 20 अक्तूबर शासन ने तय की थी।
वहीं सर्वे की रिपोर्ट जिलाधिकारियों को 15 नवम्बर तक शासन को भेजनी है। डॉ. जावेद ने बताया कि मदरसों के सर्वे से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर वहां पढ़ रहे छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था करते हुए उनका बेहतर विकास कर उन्हें देश और समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जाएगी।
यूपी मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट टीम के सभी सदस्य जिले के डीएम को सौंपेंगे। डीएम समीक्षा के बाद रिपोर्ट बनाकर 15 नवंबर तक शासन को भेजेंगे। इसके बाद शासन की ओर से इन मदरसों पर फैसला लिया जाएगा।
यूपी मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा, ”सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के मकसद से सर्वे कराया है। सर्वे का मकसद मदरसे को अवैध सिद्ध करना नहीं। केवल शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने का है। योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद 10 सितंबर को गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे शुरू किया गया था। 20 अक्टूबर तक सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है।”
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि 15 नवंबर तक सर्वे की पूरी रिपोर्ट आ जाएगी। गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को हम वैध नहीं मान सकते हैं, लेकिन गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में हम किस तरीके के कार्य कराएं। उन्हें राष्ट्रीय परियोजनाओं से जोड़कर मुख्यधारा में लाने का काम कैसे किया जाए। इस पर काम होगा। अवैध तरीके से फंडिग अर्जित करने वाले मदरसों पर कार्रवाई भी की जाएगी।
यूपी सरकार मान्यता प्राप्त मदरसों को अनुदान देती है। मगर कई ऐसे भी मदरसे हैं, जिन्हें मान्यता नहीं है। 7442 मान्यता प्राप्त मदरसों में करीब 19 लाख छात्र पढ़ते हैं। औसतन एक मदरसे में करीब 250 बच्चे हैं। सरकार का मानना है कि अगर 20 हजार गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे भी मान लिए जाएं और बच्चों की संख्या 50 मानें तो तकरीबन 10 लाख बच्चे वहां पढ़ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड ने 2017 से मान्यता देना बंद कर दिया है। सर्वे के दौरान कई मदरसा संचालकों ने अफसरों को मान्यता नहीं होने की यही वजह बताई है। मदरसा प्रबंधकों का कहना है कि सभी दस्तावेज देने के बाद भी मान्यता नहीं मिली है। ऐसे में वह दीनी तालीम देने के लिए मदरसा संचालित कर रहे हैं। सरकार के मुताबिक, प्रदेश में फिलहाल 15 हजार 6 सौ 13 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं।
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