नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में जहां एक तरफ कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर कमजोर पड़ने के बाद स्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है। वहीं दूसरे ओर ब्रिटेन (Britain) में मिले कोरोना के नए स्ट्रेन ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। ब्रिटेन से दिल्ली हवाई अड्डा पर पहुंचे 11 यात्रियों में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है। इस बात की जानकारी जेनिस्ट्रिंग्स डायग्नोस्टिक सेंटर की संस्थापक गौरी अग्रवाल ने दी है।
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50 यात्रियों को क्वारंटाइन सेंटर भेजा गया दिल्ली हवाई अड्डे पर सभी यात्रियों की कोरोना वायरस (Coronavirus) की जांच का काम जेनिस्ट्रिंग्स डायग्नोस्टिक सेंटर को सौंपा गया है। एक बयान में अग्रवाल ने बताया कि चार उड़ानों के 50 यात्रियों को संस्थानिक पृथक-वास में भेजा गया है। ब्रिटेन में नए प्रकार के कोरोना वायरस का पता चलने के बाद सरकार ने सोमवार को आदेश दिया था कि ब्रिटेन से आने वाले सभी यात्रियों की भारत के हवाई अड्डों पर जांच की जाएगी।
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11 यात्री कोरोना पॉजिटिव अग्रवाल ने कहा कि निर्देश के बाद ब्रिटेन से कुल चार उड़ानें दिल्ली आ चुकी है। सरकार ने सोमवार को कहा कि ब्रिटेन-भारत की उड़ान में कोई यात्री कोविड-19 से संक्रमित पाया जाता है तो उसी कतार में बैठे यात्रियों, सीट के आगे की तीन कतार और पीछे की तीन कतारों के यात्रियों को संस्थानिक पृथक-वास में भेजा जाएगा। अगवाल ने बताया, 'इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टी-थ्री र्टिमनल पर हमारी प्रयोगशाला में लंदन से आए 950 से ज्यादा यात्रियों के नमूनों की जांच की गयी और उनमें से 11 में संक्रमण की पुष्टि हुई।'
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31 दिसंबर तक ब्रिटेन से भारत आने वाली उड़ानों पर रोक नागर विमानन मंत्रालय ने सोमवार को कहा था कि बुधवार से 31 दिसंबर तक ब्रिटेन से भारत आने जाने वाली उड़ानों पर रोक रहेगी। अग्रवाल ने बताया, '11 नमूनों को सुरक्षित रखा गया है और उन्हें जीनोम अनुक्रमण के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) भेजा जाएगा। फिलहाल हमें यह जानकारी नहीं है कि क्या लोग नए प्रकार के वायरस से संक्रमित हुए।'
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बरते ये सावधानियां नया कोरोना वायरस पहले वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है। इसलिए इससे बचने के लिए मास्क लगाएं। - कोरोना निर्देशों का सख्ती के साथ पालन करें
- 3 दिन से ज्यादा सर्दी खांसी हो तो डॉक्टर से मिलें।
- हरी सब्जियां, गरम सूप का सेवन करें
नए स्ट्रेन से ... काफी हद तक वायरस के प्रभाव से बचा जा सकता है। वायरस के स्वरूप बदलने से घबराने की जरूरत नहीं है। वायरस में स्वरूप बदलने की सतत प्रक्रिया चलती रहती है। खुद को बचाए रखने के लिए वायरस इस प्रक्रिया को अपनाते हैं। सार्स कोरोना वायरस में थोड़ा परिवर्तन हुआ है।
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म्यूटेशन को समझें वायरस के जेनेटिक स्वरूप में परिवर्तन को म्यूटेशन कहते हैं। कभी यह ज्यादा खतरनाक नहीं होता तो कभी इसका प्रभाव गंभीर भी हो सकता है। इस प्रक्रिया के तहत वायरस शक्तिशाली या कमजोर हो सकते हैं। कई बार तो इस परिवर्तन से वायरस खुद ही खत्म हो जाता है। इस प्रकिया के तहत वायरस अपनी तादाद में बढ़ोतरी करता है।
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प्रतिरक्षा प्रणाली कम करती है असर प्रतिरक्षा प्रणाली से वायरस का प्रभाव कम जरूरत होता है लेकिन वायरस का प्रसार होता रहता है। लोगों में इसके लक्षणों की गंभीरता उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करती है। संक्रमण से कुछ लोग कुछ समय के लिए सुरक्षित हो जाते हैं। यूपी- बिहार में अभी चुनाव के दौरान शारीरिक दूरी का लोगों ने ख्याल नहीं रखा। लेकिन फिर भी वहां मामले कम आ रहे हैं। इसके पीछे भी प्रतिरक्षण प्रणाली की भूमिका है, लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि यूपी-बिहार के लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक मजबूत है।
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री-इन्फेक्शन का जोखिम कम अमूमन एक बार वायरस संक्रमण के बाद दोबारा संक्रमित होने का जोखिम बेहद कम होता है। इस मामले में भी संभव है कि नया स्ट्रेन उन लोगों को फिर से संक्रमित न कर पाए जो पहले संक्रमण के बाद ठीक हो चुके हैं। स्पेनिश फ्लू और अन्य वायरस के मामलों में यह गौर करने लायक है कि समय के साथ इनकी संक्रमण दर में कमी आई।
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वैक्सीन पर कुछ कहना जल्दबाजी नए स्ट्रेन पर वैक्सीन के प्रभाव में कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगा। वायरस के प्रोटीन में परिवर्तन है। अगर वैक्सीन नए स्ट्रेन पर कारगर नहीं होता तो बिना क्लीनिकल ट्रायल के ही नई वैक्सीन बनाना संभव है। वैक्सीन को स्पाइक प्रोटीन को स्टिमुलेट कर बनाया जाता है। इसलिए ऐसा संभव है।
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भारत में नया स्ट्रेन नहीं : नीति आयोग सरकार ने मंगलवार को कहा कि ब्रिटेन में नए स्वरूप के कोरोना वायरस को लेकर चिंता करने या घबराने की कोई बात नहीं है। भारत में अब तक इस तरह का वायरस नहीं मिला है और इसके स्वरूप में भी कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ब्रिटेन में मिले कोरोना वायरस (सार्स कोव-दो स्ट्रेन) के नए स्वरूप से टीके के विकास पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अब तक उपलब्ध आंकड़ों, विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि घबराने की कोई बात नहीं है।
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ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों के लिए एसओपी जारी कोरोना वायरस के नए स्वरूप के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। इसमें कहा गया है कि ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों की आरटी-पीसीआर जांच करानी चाहिए और संक्रमित पाए जाने पर उन्हें संस्थानिक पृथक-वास केंद्र में भेजना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय की एसओपी में 25 नवंबर से 23 दिसंबर तक ब्रिटेन होकर आने वाले यात्रियों के स्वास्थ्य की निगरानी के संबंध में विभिन्न गतिविधियों का उल्लेख किया गया है। ब्रिटेन से 25 नवंबर और 8 दिसम्बर के बीच भारत आने वाले यात्रियों से जिला निगरानी अधिकारी संपर्क करेंगे और किसी भी तरह के लक्षण पाए जाने पर आरटी-पीसीआर तरीके से जांच करायी जाएगी।
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कोरोना की जांच के लिए भरना होगा आवेदन ब्रिटेन से आने वाले सभी यात्रियों को पिछले 14 दिनों की यात्रा का ब्योरा देना होगा और कोविड-19 की जांच के लिए एक आवेदन भरना होगा। संक्रमित पाए गए लोगों के नमूने जीनोम अनुक्रमण विश्लेषण के लिए राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) पुणे या किसी उपयुक्त प्रयोगशाला में भेजे जाएं। जीनोम अनुक्रमण जांच में कोरोना वायरस के नए स्वरूप का पता लगने पर मरीज को पृथक-वास के भी अलग कक्ष में रखा जाएगा। मौजूदा परामर्श के तहत आवश्यक उपचार किया जाएगा और शुरुआती जांच के 14 वें दिन फिर से जांच की जाएगी।
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