नई दिल्ली। अनामिका सिंह। अफगानी अंजीर को स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक माना जाता है, इससे कब्ज की समस्या दूर होती है और ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल रहता है। इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं लेकिन अंजीर के बढ़े दाम इसके पोषक तत्व से आम आदमी को आजकल दूर रखे हुए हैं। इसके पीछे की वजह अफगानी अंजीर का महंगा होना है। महंगी सिर्फ अंजीर ही नहीं बल्कि केसर, हींग व अन्य ड्राईफ्रूट्स भी हैं, जिन्हें अफगानिस्तान से मंगवाया जाता है। इस पर एशिया की सबसे बड़ी ड्राईफ्रूटस मार्केट खारी बावली के थोक व्यापारियों का कहना है कि जब से अफगानिस्तान में तालिबान आया है तब से कुछ भी स्थायी नहीं रह गया है और व्यापारी माल के लिए एडवांस पैसा देने से कतरा रहे हैं। पर्यटन मंत्रालय एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत छात्रों को करवाएगी यात्रा
व्यापारी नहीं लगाना चाहते अफगानिस्तान में एडवांस पैसा बता दें कि खारी बावली में देश ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम देशों से ड्राईफ्रूटस आते हैं। इसमें बादाम कैलिफोर्निया, चिलगोंजे ईरान, काजू मैंग्लोर व उडीसा से आते हैं जबकि किशमिश सांगली से, अखरोट अमेरिका व कश्मीर से आते हैं। बावजूद इसके सबसे बड़ी डिमांड हमेशा से ही अफगानी ड्राईफ्रूटस की रही है जिनमें अंजीर के अलावा मामरा, खूबानी, हींग व केसर काफी मशहूर हैं। थोक व्यापारियों का कहना है कि इस समय अन्य इलाकों से आने वाले ड्राईफ्रूटस के दाम जहां स्थिर हैं, वहीं अफगान से आने वाले ड्राईफ्रूट्स के दामों में 20 से 50 फीसदी की बढ़त देखने को मिल रही है। लेकिन तालिबानी शासन के चलते कोई भी व्यापारी अपना पैसा एडवांस के रूप में अफगानिस्तानी ड्राईफ्रूट्स डीलर्स के साथ लगाना नहीं चाहता है, जिसका असर व्यापार पर भी दोनों ओर से पड़ रहा है। फल हुए महंगे, कैसे मिलेगा विटामिन, फाइबर और खनिज
साल 2020-21 में था 3700 करोड़ रूपए का आयात बात यदि आंकड़ों की करें तो केेंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के व्यापार डाटाबेस के अनुसार अफगानिस्तान से भारत का आयात साल 2020-21 में लगभग 3700 करोड़ रूपए आंका गया था। इसमें भी फलों और ड्राईफ्रूटस का आंकड़ा करीब 2300 करोड़ रूपए से अधिक था। भारत में सूखे मेवे का 85 फीसदी के लगभग अफगानिस्तान से आता है और खारी बावली के सैंकड़ों व्यापारी इसके थोक आयातक हैं। बीयूवीएम ने ट्रकों के आगमन पर रोक को लेकर उपराज्यपाल को लिखा पत्र
पहली बार देखा अफागानी ड्राईफ्रूट्स में इतना उछाल : आशीष गोयल करीब 4 पीढिय़ों से ड्राईफ्रूट्स का व्यापार अफगानिस्तान से कर रहे हैं। हमारी दुकान एम. आर. ग्रुप साल 1920 में खोली गई थी लेकिन दुकान का पंजीकरण 1957 का है। पिछले एक महीने से अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से भारत में माल की आपूर्ति में भारी व्यवधान आ रहा है और ट्रेड के दाम भी बढ़ गए हैं। जिससे अंजीर, किशमिश, केसर, हींग सहित अन्य सूखे मेवों की कमी हो गई है। व्यापारी इसके चलते अफगानिस्तानी में पैसा फंसाने से भी डर रहे हैं, जिससे अफगानी ड्राईफ्रूट्स के दरों में तेजी आई है।
जाने पहले और वर्तमान में दाम :
ड्राईफ्रूट्स का नाम पहले दाम वर्तमान दाम
अंजीर 800 रूपए प्रतिकिलो 1000 रूपए प्रतिकिलो हींग 4 हजार रूपए प्रतिकिलो 8000 रूपए प्रतिकिलो केसर 35 रूपए प्रतिग्राम 90 रूपए प्रतिग्राम मामरा 1800 रूपए प्रतिकिलो 21000 रूपए प्रतिकिलो
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