नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। कोरोना महामारी के बीच तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu Govt) ने कुछ प्रतिबंधों के साथ राज्य में जल्लीकट्टू कार्यक्रम को आयोजित करने की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही सरकार ने निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी इवेंट में लोगों की संख्या 150 से अधिक नहीं होनी चाहिए, खिलाड़ियों के पास कोविड-19 नकारात्मक रिपोर्ट का होना अनिवार्य है। दर्शकों की संख्या कुल क्षमता के 50% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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Tamil Nadu govt grants permission to hold Jallikattu event, with certain restrictions. Number of players not to be more than 150 at an event, COVID-19 negative certificate mandatory for players. Number of spectators not to be more than 50% of the gathering. — ANI (@ANI) December 23, 2020
Tamil Nadu govt grants permission to hold Jallikattu event, with certain restrictions. Number of players not to be more than 150 at an event, COVID-19 negative certificate mandatory for players. Number of spectators not to be more than 50% of the gathering.
अधिकतम 150 प्रतिभागियों को अनुमति सरकार ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर लागू दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इसका आयोजन किया जा सकता है। जल्लीकट्टू के लिए अधिकतम 300 प्रतिभागियों और एक अन्य खेल एरुधु विदुम निगाची के लिए अधिकतम 150 प्रतिभागियों को अनुमति दी जाएगी। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में सरकार ने बताया कि समारोह के लिए चिह्नित खुले स्थलों में प्रवेश से पहले दर्शकों की थर्मल जांच होगी और उन्हें सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना होगा और मास्क पहनना होगा।
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तमिलनाडु में हैं 235 प्रयोगशालाएं विज्ञप्ति के अनुसार, प्रतिभागियों के पास उनके कोविड-19 से संक्रमित नहीं होने की पुष्टि करने वाली सरकार द्वारा अधिकृत प्रयोगशालाओं की जांच रिपोर्ट होनी चाहिए। तमिलनाडु में 235 प्रयोगशालाएं हैं। सरकार ने बताया कि जनवरी 2021 में इसके आयोजन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया अलग से जारी की जाएगी। अलंगनल्लूर और पलामेडु तमिलनाडु के वे क्षेत्र हैं, जहां सदियों से इस खेल का आयोजन हो रहा है। जल्लीकट्टू एक पारंपरिक खेल है। यह पोंगल के समय आयोजित होता है। तमिलनाडु में जनवरी में फसलों की कटाई के समय पोंगल मनाया जाता है।
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साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने लगा दिया बैन मालूम हो कि साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जलीकट्टू कार्यक्रम को पशु विरोधी बताते हुए प्रतिबंध लगा दिया था। कोर्ट के इस फैसले का पूरे राज्य में जमकर विरोध हुआ। राज्य में प्रदर्शन हिंसक होते देख प्रदेश सरकार ने एक अध्यादेश पास कर जलिकट्टू के आयोजन की अनुमति दे दी।
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