Thursday, Mar 30, 2023
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JNU VC शांतिश्रीडी नाम के ट्विटर हैंडल के ट्वीट वायरल होने के बाद अकाउंट हुआ डिलीट

  • Updated on 2/8/2022

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) की पहली महिला कुलपति के तौर पर प्रो. शांतिश्री धूलिपुडी पंडित की नियुक्ति की घोषणा के बाद सोशल मीडिया साइट ट्विटर दिए गए उनके कथित बयानों को लेकर हंगामा मचा हुआ है। मालूम हो सोमवार को शिक्षा मंत्रालय द्वारा जेएनयू वीसी के रूप में प्रो. पंडित का नाम फाइनल किए जाने के बाद उनके नाम से एक अनवेरीफाइड ट्विटर अकाउंट द्वारा किए गए कुछ पुराने ट्वीट सोशल मीडिया पर शेयर किए जाने लगे, जो जेएनयू के छात्रों की आलोचना और भाजपा सरकार के समर्थन से जुड़े थे।

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जेएनयू वीसी शांतिश्री धुुुुलिपुड़ी की नियुक्ति को लेकर हुआ सोशल मीडिया पर हंगामा
सोशल मीडिया पर वायरल इन ट्वीट में से एक में जेएनयू के पीएचडी स्कॉलर शर्जील इमाम, जो राजद्रोह के केस में इस समय जेल में है, को ‘आईआईटी-बांबे और जेएनयू में तैयार जिहादी’ बताया गया था, जबकि एक अन्य ट्वीट में जेएनयू छात्रों को ‘लूजर’ करार दिया गया। वहीं एक अन्य में किसान आंदोलन का विरोध किया गया था। मंगलवार को विवाद के बाद ये ट्विटर हैंडल डिलीट कर दिया गया। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह अकाउंट प्रो. पंडित का ही था या नहीं।

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विवाद के बाद अकाउंट हुआ डिलीट 
क्योंकि प्रोफाइल फोटो में देवी मां की तस्वीर लगी थी। ट्विटर हैंडल का नाम था एट द रेट शांतिश्रीडी। मई 2021 के बाद से इस एकाउंट से कोई ट्वीट नहीं किया गया है। इस अकाउंट से 2020 में पोस्ट एक ट्वीट में जेएनयू के छात्रों को ‘नियंत्रण से बाहर हो चुके लूजर’ करार दिया गया था और ‘जामिया और सेंट स्टीफंस’ जैसे संस्थानों की फंडिंग रोकने की मांग की गई थी। लेखक शेफाली वैद्य के 2021 के एक ट्वीट जिसमें उन्होंने किसान नेता राकेश टिकैत के एक बयान को साझा करते हुए लिखा था ‘अगर कृ षि कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो वह आत्महत्या कर लेंगे’ के जवाब में प्रो. पंडित के नाम वाले ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया गया था, ‘मैं उन्हें ऐसा करने के लिए एक रस्सी दे दूंगी।

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सुन्नी इस्लाम को कट्टरपंथी, गोडसे के विचारों से सहमति जैसे थे ट्वीट 
कुछ ट्वीट 2015 में इस अकाउंट से पोस्ट हुए थे और जिनमें सुन्नी इस्लाम को ‘कट्टरपंथी’ बताया गया था। एक अन्य ट्वीट में प्रो. पंडित के कथित अकाउंट से लिखा गया कि ‘मैं गांधी और गोडसे दोनों से सहमत हूं, दोनों ने गीता पढ़ी, उसमें आस्था रखते थे और परस्पर विरोधाभासी सबक लिए। गोडसे ने सोचा कि कर्म महत्वपूर्ण है और उनकी नजर में अविभाज्य भारत का समाधान एक व्यक्ति महात्मा गांधी की हत्या में निहित था। हालांकि, यह दुखद है। वहीं एक अन्य ट्वीट में इस अकाउंट से कहा गया है, ‘अगर भाजपा गोडसे की पार्टी है तो टीएमसी जैसी मुसलमानों का समर्थन करने वाली सभी पार्टियां तमाम आतंकवादियों, आक्रमणकारियों की पार्टियां हैं जिन्होंने बलात्कार किए और पवित्र हिंदू मंदिरों को नष्ट किया। वे बंगाल में नरसंहार को अंजाम देने वालों का समर्थन करते हैं।

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