नई दिल्ली। अनामिका सिंह। केंद्र सरकार द्वारा आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर इसे आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है, इसके तहत हर घर तिरंगा अभियान का नोडल एजेंसी संस्कृति मंत्रालय को बनाया गया है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए केंद्र ही नहीं बल्कि राज्य सरकारें भी अपनी ओर से पूरा जोर लगा रही हैं। जिसके चलते तिरंगे की मांग काफी बढ़ गई है। सदर बाजार में चुनाव सामग्री व झंडा बनाने वालों के चेहरों पर रौनक लौट आई है। सदर बाजार के व्यापारियों का कहना है कि उन्हें बड़ी संख्या में तिरंगा झंडा बनाए जाने का ऑर्डर मिला है। मालूम हो कि यह अभियान 13 से 15 अगस्त तक चलाया जाएगा। केवट के किरदार का मंचन करेंगे मनोज तिवारी : अर्जुन कुमार
10 से 150 रूपए के झंडों का खूब मिल रहा है ऑर्डर बता दें कि राज्य सरकारों के साथ ही सिविक एजेंसियां, निजी संस्थान व एनजीओ भी बड़ी संख्या में झंडे का ऑर्डर दे रहे हैं। इस साल केंद्र सरकार ने 20-25 करोड़ घरों में झंडा लगाए जाने का टारगेट रखा है। इस अभियान में साफ कहा गया है कि किसी को भी मुफ्त झंडा नहीं दिया जाएगा बल्कि लोगों को खुद झंडा खरीदना होगा। सदर बाजार के थोक झंडा व्यापारी विक्की ने बताया कि काफी समय से उनका धंधा मंदा पड़ा हुआ था क्योंकि अब चुनावों में भी वो बात नहीं रह गई है लेकिन इस अभियान के चलते उन्हें झंडा बनाने का बड़ा ऑर्डर मिला है। उनके यहां 10 से लेकर 150 रूपए तक के झंडों का ऑर्डर आ रहा है। कई प्राइवेट कंपनियां भी ऑर्डर बुक करवा रही हैं। लेकिन पहले जहां प्लास्टिक के झंडे बनते थे, वो अब बाजारों में नहीं बिक रहे हैं, सिंगल यूज प्लास्टिक बैन होने से प्लास्टिक के झंडों पर भी पाबंदी लगाई गई है। सिर्फ कपड़े के झंडे ही बाजार में बेचे जा रहे हैं, जिनके दाम उनके साइज पर निर्धारित है। जल्द आईपीयू में तीन नए स्कूल खुलेंगे
कैट ने अपनी इकाइयों से कपड़ा उत्पादकों से संपर्क कर झंडा बनाने को कहा व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इस अभियान के लिए विनिर्माताओं से उत्पादन बढ़ाने को कहा है ताकि बढ़ती मांग पूरी की जा सके। विनिर्माताओं से कहा गया है कि वे राष्ट्रीय ध्वज संहिता के प्रावधानों का सख्ती से पालन करें। कैट ने अपनी दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, ओडिशा, बिहार और राजस्थान इकाइयों से अपने-अपने राज्यों में कपड़ा उत्पादकों से संपर्क करने और उन्हें बड़ी संख्या में राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए प्रेरित करने को कहा है। कैट की खादी ग्रामोद्योग से तिरंगे खरीदने और उन्हें कारोबारी संस्थाओं को उपलब्ध करवाने की भी योजना है।
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