Saturday, Jun 03, 2023
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the evidence related to the toolkit found from nikita jacob mobile and laptop sohsnt

टूलकिट मामले में बड़ा खुलासा, निकिता जैकब के मोबाइल- लैपटॉप से मिले ये चौंकाने वाले सुबूत

  • Updated on 2/18/2021

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। टूलकिट मामले (Toolkit Case) में रोज नए और चौंका देने वाले खुलासे हो रहे हैं। बेंगलुरू का पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि (Disha Ravi) के साथ-साथ निकिता जैकब (Nikita Jacob) को लेकर भी दिल्ली पुलिस ने जांच तेज कर दी है, हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट से निकिता को भले की राहत मिल गई है, लेकिन दिल्ली पुलिस के खुफिया सूत्रों के मुताबिक उनके पास निकिता की गिरफ्तारी के पर्याप्त सबूत हैं। पुलिस को ऐसी जानकारी मिली है कि निकिता खालिस्तानी समर्थक पीटर फ्रेडरिक के संपर्क में थी। 

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पुलिस ने दो लैपटॉप और एक किया जब्त
बता दें कि बीते 11 फरवरी को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने निकिता जैकब के मुंबई स्थित घर की तलाशी ली थी। करीब 13 घटें चली इस तलाशी में पुलिस ने दो लैपटॉप और एक आईफोन के अलावा कुछ दस्तावेज भी बरामद किए थे। पुलिस ने जब निकिता के लैपटॉप की हर फाइल को खंगाला, तो पता चला कि निकिता टूलकिट मामले में खालिस्तानी समर्थक पीटर फ्रेडरिक के सीधे संपर्क में थी। इसके अलावा निकिता ने खालिस्तानी संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का ईमेल भी इस्तेमाल किया। मामले की जांच में पता चला कि निकिता और शांतनु के कहने पर ही दिशा रवि ने स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को टूलकिट फॉरवर्ड की थी।

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निकिता जैकब को मिली अस्थाई राहत
बता दें कि बंबई हाई कोर्ट ने किसानों के प्रदर्शन से जुड़े टूलकिट मामले की एक संदिग्ध आरोपी एवं वकील निकिता जैकब को बीते बुधवार को ट्रांजिट अग्रिम जमानत दे दी। यह मामला जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा किए गए टूलकिट से संबद्ध है। न्यायमूर्ति पीडी नाइक ने जैकब को राहत पाने के लिए दिल्ली में संबद्ध कोर्ट का रुख करने के वास्ते तीन हफ्ते का समय दिया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि वह मुंबई की स्थाई निवासी है और प्राथमिकी दिल्ली में दर्ज की गई है तथा उनके द्वारा मांगी गई राहत सिर्फ अस्थाई है।

किसी भी समय गिरफ्तार हो सकती हैं निकिता
न्यायमूर्ति नाइक ने कहा, याचिकाकर्ता जैकब को इस बात की आशंका है कि उन्हें किसी भी समय गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसलिए उन्हें राहत पाने के लिए दूसरे राज्य में अदालत का रूख करना पड़ा। ऐसे में इस अदालत का यह विचार है कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगा गया संरक्षण अस्थाई अवधि के लिए दिया जा सकता है।

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