नई दिल्ली। अनामिका सिंह। रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया है, लगातार स्थितियां काफी खराब होती जा रही हैं। वहां लोगों को अपनी जानोमाल के नुकसान का डर सता रहा है। वहीं इस युद्ध के चलते दिल्ली के बाजारों पर भी इसका असर पड़ रहा है। खासकर सूरजमुखी का तेल के दामों पर युद्ध का प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव देखा जा सकता है। बता दें कि सूरजमुखी का तेल आयात करने में यूक्रेन की 74 फीसदी की हिस्सेदारी है। प्यूटिनिया के फूलों ने बढ़ाई बाराखंभा रोड़ की खूबसूरती
युद्ध के चलते कई वस्तुओं के दामों पर पड़ेगा असर बता दें साल 2021 में भारत ने 18.9 लाख टन सूरजमुखी का खाद्य तेल इंपोर्ट किया था, जबकि साल 2022 के जनवरी में भारत ने 3.07 लाख टन तेल का आयात किया था। दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेश नागपाल ने कहा कि युद्ध की स्थिति में यूक्रेन से सन फ्लावर का ऑयल आने में दिक्कतें होंगी। हालांकि, इसका दाम सोया और पाम ऑयल से कम है। लेकिन भारत के लिए कुछ राहत की बात यह भी है कि सरसों की फसल तैयार है और मंडियों में सरसों पहुंचनी भी शुरू हो गई है। इस युद्ध के चलते अन्य कई वस्तुओं के दामों पर भी असर पड़ेगा जैसे दवा के कच्चे माल, कच्चा तेल, जैविक रसायन, प्लास्टिक, लोहा और इस्पात। जबकि भारत यूक्रेेन को फल, चाय, कॉफी, दवा उत्पाद, मसाले, तिलहन, मशीनरी और मशीनरी सामान आदि का निर्यात करता है। बढ़ाया जाए मार्केट बंद करने का समय
कॉपर व निकेल के बढ़ेंगे दाम, जिंस पर भी होगा असर एक्सपट्र्स का कहना है कि यूक्रेन व कॉपर दोनों ही निकेल के बड़े सप्लायर हैं। युद्ध होने से इन धातुओं की आपूर्ति का असर भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर पडऩे लगा है। इससे भारत में मैन्युफैक्चरिंग की लागत बढ़ रही है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के पूर्व प्रेजिडेंट शरद कुमार सराफ का कहना है कि युद्ध से जिंसों की कीमत बढ़ेगी। एनडीएमसी ने फरवरी बिजली बिल की विविध बकाया राशि को किया स्पष्ट
रूस-भारत के साथ व्यापार में 25वां सबसे बड़ा भागीदार युद्ध में यूक्रेन-भारत ही नहीं बल्कि भारत-रूस के रिश्तों पर भी काफी असर पड़ रहा है क्योंकि रूस-भारत के साथ व्यापार में 25वां सबसे बड़ा भागीदार है। रूस को 2.5 बिलियन डॉलर का निर्यात किया जाता है और रूस से 6.9 बिलियन डॉलर का आयात करता है। एनडीएमसी की सड़कों पर दिखेगी आजादी के अमृत महोत्सव की झलक
कच्चे तेल में वृद्धि से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में मुद्रास्फीति बढ़ेगी : कैट कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भारतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से उत्पन्न वर्तमान स्थिति में भारत का कुल तेल आयात 25.8 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जिससे तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि हुई। थोक मूल्य सूचकांक में कच्चे तेल और संबद्ध उत्पादों की हिस्सेदारी 9 फीसदी है। कच्चे तेल में वृद्धि से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और मुद्रास्फीति बढ़ेगी जिससे समग्र रूप से सभी वस्तुओं के दाम में वृद्धि होने की आशंका है। माल की विनिर्माण और परिवहन लागत अधिक महंगी हो जाएगी। कच्चे तेल का इस्तेमाल प्लास्टिक, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, पेंट और कई अन्य वस्तुओं आदि के निर्माण में किया जाता है जो कीमतों को और बढ़ाने का कारक बनेगा। कैट ने केंद्र सरकार से रूस और यूक्रेन के बीच मौजूदा युद्ध पर नजर रखते हुए देश में व्यापार और वाणिज्य के लिए कुछ सहायक उपायों की घोषणा करने का आग्रह किया है।
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