Thursday, Jun 01, 2023
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The pain of Pushpam Priya spilled on the social media write this post to Biharis prshnt

सोशल मीडिया पर छलका पुष्पम प्रिया का दर्द, पोस्ट लिख बिहारवासियों को कही ये बात

  • Updated on 11/11/2020

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। बिहार बिधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) परिणाम में 243 सीटों के लिए हुई मतगणना में एनडीए ने 125 सीटों पर जीत दर्ज की है इसी के साथ एनडीए को बहुमत मिल चुकी है। वहीं इससे हटकर इस चुनाव में कई ऐसे उम्मीदवारों को हार मिली है जो सबसे ज्यादा चर्चा में थे। उनमें से एक हैं प्लूरल्स पार्टी की पुष्पम प्रिया चौधरी। पुष्पम प्रिया खुद को सीएम कैंडिडेट घोषित कर सुर्खियों में आईं थीं, लेकिन चुनाव में उन्हें दो सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। 

चुनाव में मिली हार के बाद पुष्पम प्रिया ने शोसल मीडिया का सहारा लेते हुए फेसबुक पर पोस्ट लिख दूख जाहीर किया है पुष्पम प्रिया ने लिखा, 'आज सुबह हो गयी पर बिहार में सुबह नहीं हुई। मैं बिहार वापस एक उम्मीद के साथ आयी थी कि मैं अपने बिहार और अपने बिहारवासियों की जिंदगी अपने नॉलेज, हिम्मत, ईमानदारी और समर्पण के साथ बदलूँगी। मैने बहुत ही कम उम्र में अपना सब कुछ छोड़ कर ये पथरीला रास्ता चुना क्योंकि मेरा एक सपना था, बिहार को पिछड़ेपन और गरीबी से बाहर निकालने का।

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गांधी-अम्बेडकर ने जैसी शिक्षा ली थी बिहार को वैसा देना चाहती हैं प्रिया
उन्होंने कहा, बिहार के लोगों को एक ऐसी इज्जतदार जिंदगी देना जिसके वो हकदार तो हैं पर जिसकी कमी की उन्हें आदत हो गयी है। बिहार को देश में वो प्रतिष्ठा दिलाना जो उसे सदियों से नसीब नहीं हुई। मेरा सपना था बिहार के गरीब बच्चों को वैसे स्कूल और विश्वविद्यालय देना जैसों में मैने पढ़ाई की है, जैसों में गांधी, बोस, अम्बेडकर, नेहरू, पटेल, मजहरूल हक और जेपी-लोहिया जैसे असली नेताओं ने पढ़ाई की थी। उसे इसी वर्ष 2020 में देना क्योंकि समय बहुत तेज़ी से बीत रहा और दुनिया बहुत तेजी से आगे जा रही। आज वो सपना टूट गया है, 2020 के बदलाव की क्रांति विफल रही है। 

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हार गया बिहार
पुष्पम प्रिया ने कहा, हर छोर हर जिले में गयी, लाखों लोगों से मिली। आपमें भी वही बेचैनी दिखी बिहार को ले कर जो मेरे अंदर थी, बदलाव की बेचैनी। और उस बेचैनी को दिशा देने के लिए जो भी वक्त मिला उसमें मैने और मेरे साथियों ने अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी। पर हार गए हम। इनकी भ्रष्ट ताकत ज्यादा हो गयी और आपकी बदलाव की बेचैनी कम। और मैं, मेरा बिहार और बिहार के वो सारे बच्चें जिनका भविष्य पूरी तरह बदल सकता था, वो हार गया।

मीडिया मेरे कपड़ों और मेरी अंग्रेजी से ज्यादा नहीं सोच पायी, बाकी पार्टियों के लिए चीयरलीडर बनी रही और आप नीतीश, लालू और मोदी से आगे नहीं बढ़ पाए। आपकी आवाज तो मैं बन गयी पर आप मेरी आवाज भी नहीं बन पाए और शायद आपको मेरे आवाज की जरुरत भी नहीं। इनकी ताकत को बस आपकी ताकत हरा सकती थी पर आपको आपस में लड़ने से फुरसत नहीं मिली। 

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अंधेर नगरी में अंधेरे का जश्न
उन्होंने कहा, आज अंधेरा बरकरार है और 5 साल, और क्या पता शायद 30 साल या आपकी पूरी जिंदगी तक यही अंधेरा रहेगा, आप ये मुझसे बेहतर जानते हैं। आज जब अपनी मक्कारी से इन्होंने हमें हरा दिया है, मेरे पास दो रास्ते हैं। इन्होंने बहुत बड़ा खेल करके रखा है जिसपर यकीन होना भी मुश्किल है। या तो आपके लिए मैं उससे लडूं पर अब लड़ने के लिए कुछ नहीं बचा है ना ही पैसा ना ही आप पर विश्वास, और दूसरा बिहार को इस कीचड़ में छोड़ दूं। निर्णय लेना थोड़ा मुश्किल है। मेरी संवेदना मेरे लाखों कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ है।

फिलहाल, आप अंधेर नगरी में अंधेरे का जश्न मनाएं और चौपट राजाओं के लिए ताली बजाएं। जब ताली बजा कर थक जाएं, और अंधेरा बरकरार रहे, तब सोचें कि कुछ भी बदला क्या, देखें कि सुबह आई क्या? मैंने बस हमेशा आपकी खुशी और बेहतरी चाही है, सब खुश रहें और आपस में मुहब्बत से रहें।

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दोनों सिटों पर मिली हार
बता दें कि पुष्पम दो सीट बांकीपुर और बिस्फी से चुनाव लड़ी थीं, बिस्फी में पुष्पम प्रिया को नोटा से भी कम यानी महज 1509 वोट मिले है, वहीं, बांकीपुर सीट पर पुष्पम को 5189 वोट मिले। दोनों सीट उन्हें हार मिली।

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