देहरादून/ब्यूरो। वैश्य नर्सिंग होम में बच्चा बदलने और कब्र से नवजात बच्चे का शव चुराने के आरोप मामले में पुलिस को अभी तक साक्ष्य नहीं मिले हैं। लेकिन नवजात बच्चे का शव कब्र से कैसे लापता हुआ? इस पर पुलिस ने अपनी तफ्तीश तेज कर दी है।
डालनवाला पुलिस क्षेत्राधिकारी जया बलोनी ने बताया कि नर्सिंग होम में लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को देखा गया है। इसमें ये बात साफ हो रही है कि बच्चे की मौत के बाद चेहरा परिजनों को दिखाया गया था।
इसलिए नर्सिंग होम में बच्चा बदलने की स्थिति साफ नहीं हो रही है। कब्र से बच्चा कैसे और किन परिस्थितियों में गायब हुआ, इसकी इंवेस्टिगेशन जारी है। वन विभाग का भी इसमें सहयोग लिया जा रहा है। जंगल का इलाका है, इसलिए तमाम पहलुओं पर पुलिस अपनी जांच कर रही है।
जया बलोनी का कहना है कि परिजनों के दोबारा बयान दर्ज कराए जाएंगे। परिजनों के पास अगर कोई और सबूत या जानकारी है, तो उसको पुलिस को उपलब्ध करा सकते हैं। जिसके आधार पर पुलिस अपनी जांच को और आगे बढ़ा सकती है।
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पुलिस इस मामले मे नर्सिंग होम के स्वीपर दिनेश अन्य स्टॉफ सहित नवजात बच्चे के पिता गौरव आहूजा सहित 12 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज करा चुकी है। नर्सिंग होम के सीसीटीवी कैमरों के साथ ही नर्सिंग होम से लेकर तपोवन तक के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को भी खंगाला जा चुका है।
कब्र से शव लापता होने की जांच के लिए पुलिस वन विभाग की टीम को लेकर भी मौके पर पहुंची। इससे ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कब्र से नवजात का शव निकालने का तरीका क्या रहा। और इसके पीछे किसी इंसान का हाथ है या फिर जंगली जानवर खा गए हैं।
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2015 में कब्र से बच्चा लापता होने शिकायत नहीं डालनवाला सीओ जया बलोनी ने बताया कि 2015 मे नर्सिंग होम से जुड़े मामले में कब्र से बच्चा चोरी होने की कोई शिकायत शनिवार को पुलिस को नहीं मिली है। अगर लिखित शिकायत पुलिस के पास आती है, तो उस पर भी जांच कराई जा सकती है।
रुड़की के रहने वाले संजय पाठक ने भी आरोप लगाया था कि 2015 जून महीने में उनके नवजात बच्चे का शव भी इसी परिस्थितियों में कब्र से लापता हुआ था। हालांकि, संजय पाठक ने इस मामले में मुख्यमंत्री से मिलकर जांच की मांग की थी। लेकिन पुलिस का कहना है कि उनके पास संजय पाठक ने कोई शिकायत नहीं की।
संजय पाठक का आरोप है कि 2015 में उनके साथ हुई इस घटना की शिकायत नालापानी चौकी में दर्ज कराई थी। पुलिस ने मामले को दबा दिया था। संजय पाठक शनिवार को 2015 से जुड़े प्रकरण की कोई लिखित शिकायत लेकर नहीं पहुंचे थे।
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