नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) और लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व में साल 1998 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को धरातल पर उतारा। इस गठबंधन ने साल दर साल बीजेपी को मजबूत करने का काम किया।
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24 दलों को मिलाकर बनाया गया था गठबंधन अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री पद के 5 वर्ष बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी, इस गठबंधन ने पीएम नरेद्र मोदी के राज में भी अपने चरम को छुआ, लेकिन साल 2020 गठबंधन के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ। आइए जानते हैं किन-किन पार्टीयों ने छोड़ा गठबंधन का दामन....
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शिरोमणि अकाली दल ने छोड़ा एनडीए का साथ साल 2020 में केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल (Shiromani akali dal) ने एनडीए से अलग होने का फैसला लिया। दरअसल, अकाली दल की कोर कमेटी ने ये फैसला तब लिया जब पंजाब में बड़ी संख्या में किसान तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर उतर आए थे। इस दौरान पार्टी ने न सिर्फ एनडीए का दामन छोड़ा बल्कि अकाली दल से हरसिमरत कौर बादल ने भी क़षि कानूनों का विरोध करते हुए केंद्रीय मंत्रीपद से त्यागपत्र दे दिया था।
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हरसिमरत कौर ने इस लिए दिया त्यागपत्र हरसिमरत कौर बादल ने कृषि कषि विधेयक पर बयान देते हुए कहा था कि मैंने यह भी आग्रह किया था कि किसानों के साथ वार्ता संपन्न होने तक विधेयकों को प्रवर समिति के पास भेजा दिया जाए। उन्होंने कहा कि मेरी मांगों को दरकिनार कर संसद में कानूनों को पेश किया गया जिसके चलते मैंने त्यागपत्र देने का निर्णय लिया।
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आरएलपी ने किसान कानूनों के विरोध में छोड़ा साथ शिरोमणि अकाली दल के बाद नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ( Rashtriya Loktantrik Party) ने भी एनडीए का साथ छोड़ दिया। पार्टी संयोजक व नागौर सासंद हनुमान बेनीवाल ने पार्टी के इस बड़े फैसले के पीछे का कारण किसान विरोधी कानूनों को बताया। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों के लाभ के लिए स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करने के साथ ही किसानों के कर्ज माफ कर देना चाहिए।
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एलजेपी ने इस कारण छोड़ा एनडीए का साथ वहीं दूसरी और साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में मतभेद की स्थिति पैदा होने पर लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने एनडीए से अलग होने का फैसला लिया था। पार्टी ने संसदीय बोर्ड की बैठक कर स्पष्ट कर दिया कि इस बार विधानसभा चुनाव वे नीतीश के नेतृत्व में नहीं लड़ेंगे और यही कारण है कि पार्टी ने एनडीए का साथ छोड़ने का फैसला लिया है। पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान ने स्पष्ट कर दिया कि राजकीय स्तर पर व बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन में वैचारिक मतभेदों का चलते राज्य में लोक जनशक्ति पार्टी ने गठबंधन से अलग होने का फैसला लिया। हालांकि, पार्टी का केंद्र में गठबंधन जारी रहेगा।
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