नई दिल्ली/टीम डिजिटल। देश की सुरक्षा करने वाली बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी बीएसएफ को गठित हुए आज 53 साल पूरे हो गए हैं, जिसके चलते आज बीएसएफ अपना 54वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस अवसर पर पूरा देश सैन्य बल को शुभकामनाएं दे रहा है। कई वरिष्ठ नेताओं से लेकर आम आदमी तक हर कोई बीएसएफ को इस दिवस की बधाई दे रहा है।
यह तो सब जानते हैं कि बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स देश का एक प्रमुख अर्धसैनिक बल होने के साथ-साथ विश्व की सबसे बड़ी सीमा रक्षक फोर्स भी है। 1 दिसंबर 1965 को गठित हुई इस फोर्स में लगभग 185 बटालियन और 2.57 लाख से ज्यादा कर्मी तैनात है, जिनका मुख्य उद्देश्य देश की सीमाओं की रक्षा करना है।
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देश की सुरक्षा में सबसे बड़ा योगदान बीएसएफ का है बता दें कि बीएसएफ सिर्फ सीमा पर ही नहीं बल्कि देश के अंदर भी देशवासियों की रक्षा करती आई है। हमारे देश में ऐसे कई क्षेत्र है, जो नक्सल प्रभावित है, लेकिन इन क्षेत्रों में भी बीएसएफ ने बड़े पैमाने पर जनता के मन से नक्सलियों का डर कम किया है।
बात करें छत्तीसगढ़ की तो साल 2009 में राज्य में आंतरिक समस्या से जुझने के लिए बीएसएफ की एक टुकड़ी कांकेर जिले में तैनात की गई, तब से ही फोर्स नक्सलियों पर भारी पड़ती आई है। हालांकि आज भी राज्य में नक्सली हमले रुके नहीं हैं लेकिन पहले के मुकाबले बीएसएफ ने लोगों के मन में बसे नक्सलियों के डर को उखाड़ फेंका है।
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इन परिस्थितियों के चलते हुआ गठन साल 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ, जिसे देश हार चुका था। ये वो दौर था जब सीमा सुरक्षा के लिए फौज का गठन नहीं हुआ था। उस समय सूबें की पुलिस ही अपने-अपने राज्यों से लगते बॉर्डर की रखवाली करती थीं।
चीन से लड़ाई शुरू होने के पांचवे दिन सीमा सुरक्षा के लिए बड़ी पहल की गई, जिसके चलते भारत-तिब्बत सीमा पुलिस का गठन हुआ। हालांकि इसके बावजूद भी हम युद्ध हार चुके थे।
चीन से युद्ध हारने के बाद खतरा था पाकिस्तान से लगती सीमा का, जो सबसे असुरक्षित थी। चीन-तिब्बत के लिए तो बल गठित हो गया था लेकिन अब भी पाकिस्तान सीमा की सुरक्षा का जिम्मा राज्यों पर ही था, जिसे जरुरत थी एक अलग फोर्स की।
अब पाकिस्तान भी बगावत का रवैया अपना चुका था। साल 1965 में पड़ोसी देश ने जंग छेड़ दी थी। गुजरात के कच्छ में जिस तरह पाकिस्तानी फौजें घुसीं थी उससे इस बात का अंदाजा लगाना बहुत आसान था कि हमारी सरहद की हालत बेहद नाजुक थी। हालांकि किसी तरह हमारी सेना ने हार नहीं मानी और जंग जीत ली।
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इस युद्ध के बाद केंद्र सरकार ने एक केंद्रीय एजंसी के गठन का फैसला किया,जिसकी जिम्मेवारी सिर्फ सीमाओं की रक्षा की थी। इसके बाद ही 1 दिसंबर 1965 को सीमा सुरक्षा बल यानी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स बनाया गया।अब सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्यों की पुलिस के पास नहीं, एक केंद्रीय बल के पास थी, जो सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है।
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