Wednesday, Mar 29, 2023
-->
this is how china failed, neither the policy nor the vaccine worked, read special report

ऐसे विफल हुआ चीन, न नीति कारगर निकली न वैक्सिन, पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट

  • Updated on 12/23/2022

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। चीन का जीरो कोविड नीति का सुरक्षा चक्र टूट चुका है। उल्टा इस नीति ने समुदायक इम्युनिटी भी नहीं बनने दी, जिसके नतीजे अब दिख रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी चीन में कोविड लहर का सही डाटा उपलब्ध न होने पर चिंता जता रहे हैं। चीन की ओर से जो बीमारी के संबंध में अधिकारिक आंकड़े दिए जा रहे हैं, वे पहली ही नजर में अविश्वसनीय हैं।

संक्रमण जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसके आगे चीन का पूरा स्वास्थ्य सिस्टम असहाय नजर आ रहा है। अस्पताल बेड और ब्लड की कमी से जूझ रहे हैं। अफसर नए अस्थाई अस्पताल बनाने के प्रयास कर रहे हैं और दवा कंपनियां उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं मगर यह सब पर्याप्त साबित नहीं रहा। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि चीन में 2023 में कोविड से 10 लाख तक मौतें हो सकती हैं। 

विश्व स्वास्थय संगठन के आपातकालीन स्थितियों के निदेशक माइक रायन ने वीरवार को बताया कि चीन ने आधिकारिक जानकारी में कहा है कि आईसीयू के मरीजों की संख्या बहुत कम है, जबकि स्थिति यह है कि चीन में आईसीयू में मरीजों के लिए जगह नहीं बची है। मैं यह नहीं कह रहा कि जो हो रहा है चीन उसे छुपा रहा है, बल्कि मैं यह कह रहा हूं कि वे हकीकत से बहुत पीछे हैं। अगर चीन चाहे तो डाटा संग्रह के काम को बेहतर करने में हम उसकी मदद कर सकते हैं।

विफल हुई जीरो कोविड नीति 

चीन की ओर से लगातार कोविड-19 को नियंत्रण करने के लिए जिस जीरो कोविड नीति की बात कही जाती रही, मगर यह नीति नागरिकों के लिए पूरी तरह यातना साबित हो रही थी। 

संक्रमण को रोकने के नाम पर लोगों को घरों में बंद कर दिया जाता था। मोहल्लों को सील कर दिया जाता। इस सबके बीच हुए अग्रिकांड में दस लोगों की मौत ने पूरे चीन को झकझोर दिया। 

देश भर में जिनपिंग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए और उसे झुकना पड़ा। इस तरह पिछले महीने जीरो कोविड नीति पूरी तरह फेल हो गई। 

दिसम्बर 2019

वुहान में कोविड के मामले आने लगे थे मगर दुनिया से वायरस की पूरी जानकारी साझा करते-करते दो महीने निकल गए। चीन की खूब आलोचना हुई।

7 फरवरी, 2020
अज्ञात कारण से निमोनिया के मामले दर्ज किए जाते रहे और 7 फरवरी 2020 को पहली बार इसे नोवल कोरोनावायरस के रूप में दर्ज किया गया। 

दिखावा ज्यादा, काम कम
कोविड से निपटने का चीन का तरीका पूरी तरह तानाशाही वाला था। इसकी कीमत लोगों ने चुकाई। सरकार का ध्यान लोगों का जीवन बचाने पर कम और अपनी छवि को उभारने पर ज्यादा रहा।

दुनिया जब संकट में आई, चीन ने अपनी कमाई बढ़ाई
चीन में शुरुआती कोरोना जब नियंत्रित हुआ तो बाकी दुनिया इस महामारी से जूझ रही थी। चीन इसे समय का इस्तेमाल दुनिया में अपना प्रभाव और कमाई बढ़ाने के लिए किया। 

इस साल चीन की जीडीपी

दूसरी तिमाही में 3.5 फीसद और तीसरी तिमाही 
में 3.9 प्रतिशत रही।

चीन का दावा 

चीन की जीडीपी 2021 में 18.11 ट्रिलियन हो गई, जो कि 8.1 प्रतिशत की वृद्धि थी।

वैश्विक सहयोग का दावा
-
180 देशों तथा 10 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ कोविड उपचार और प्रबंधन योजनाओं को साझा किया
- 34 देशों में 38 मेडिकल एक्सपर्ट टीमें भेजने का दावा
- 150 देशों को एंटी-कोविड मटीरियल देने का दावा, इसके अलावा 15 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भी यह मदद दी

वैक्सीन सिर्फ 50 फीसद प्रभावी
चीन की वैक्सीन बहुत कम प्रभावी है। चीन वैक्सीन वायरस के खिलाफ करीब 50 फीसद ही प्रभावी हैं। 
चीन के पास 9 स्वदेशी विकसित वैक्सीन हैं, जिनके जरिए टीकाकरण किया गया। मगर इन स्वदेशी 9 वैक्सीन में से किसी को भी ओमीक्रॉन जैसे वैरिएंट के खिलाफ अपडेट नहीं किया गया है। 

Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।हर पल अपडेट रहने के लिए NT APP डाउनलोड करें। ANDROID लिंक और iOS लिंक।
comments

.
.
.
.
.