नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) और उसके जुड़े अगल-अलग संगठनों की राष्ट्रीय बैठक गुजरात (Gujrat) के गांधीनगर (Gandhi Nagar) में पांच जनवरी से शुरू होने जा रहा है, जिसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी हिस्सा लेंगे। ये बैठक सात जनवरी तक चलेगी। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में संघ से जुड़े 25 संगठनों के करीब 150 प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस सम्मेलन में सभी लोग अपने अनुभव, फीडबैक और जानकारी साथ साझा करेंगे। इसके साथ ही महंत नृत्य गोपाल दास की इच्छा पर अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के लिए घर घर जाकर चंदा जुटाने समेत मौजूदा कई मुद्दों पर भी चर्चा होगी।
शीर्ष पदाधिकारी बैठक में होंगे शामिल संघ अखिल भारतीय प्रचार के प्रमुख अरुण कुमार ने जानकारी दी कि यह सम्मेलन गांधीनगर में कर्णावती यूनिवर्सिटी परिसर में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि भागवत और नड्डा के अलावा संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम, स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय मजदूर संघ, राष्ट्र सेविका समिति, विश्व हिंदू परिषद समेत अन्य संगठनों के शीर्ष पदाधिकारी बैठक में शामिल होंगे।
फैसले से दूर रहेगा बैठक अरुण कुमार ने बताया कि इस बैठक में किसी तरह का कोई फैसला नहीं लिया जाएगा है, सबका कार्य क्षेत्र अलग-अलग है, सभी संबंधित संगठन स्वतंत्र, स्वायत्त अगल हैं। इस सम्मेलिन में सभी लोग अपने अनुभव, फीडबैक और जानकारियां एक दूसरे से साझा करेंगे। जिससे लोगों को फायदा हो सके। उन्होंने कहा कि ये बैठक हर साल दो बार आयोजित किया जाता है।
इस बैठक के साथ ही बड़े स्तर पर सितंबर में और छोटे समूह में जनवरी में बैठक होती है। लेकिन अभी कोरोना वायरस महामारी के चलते पिछले साल सितंबर में बैठक सीमित स्तर पर हुई थी। वहीं गांधीनगर में हो रही बैठक में करीब 150 कार्यकर्ता मौजूद होंगे।
भागवत ने जेके बजाज और एम डी श्रीनिवास लिखित पुस्तक किया लोकार्पण हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जेके बजाज और एम डी श्रीनिवास लिखित पुस्तक ‘मेकिंग आफ ए हिन्दू पेट्रियट: बैकग्राउंड आफ गांधीजी हिन्द स्वराज’ का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी को लेकर और देशभक्त होने को लेकर बड़े बयान दिए।
भगवत ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति हिन्दू है तो वह अपने आप ही देशभक्त होगा, क्योंकि यह उसका बुनियादी चरित्र और उसकी असल प्रकृति है। भागवत ने यह बात महात्मा गांधी की उस टिप्पणी के जिक्र पर कही जिसमें गांधी ने कहा था कि उनकी देशभक्ति की उत्पत्ति उनके धर्म से हुई है।
उन्होंने किताब का विमोचन करते हुए कहा कि मेरे द्वारा इस किताब के विमोचन करने को लेकर यह अटकलें लगाई जा सकती हैं कि यह मेरे द्वारा गांधी जी को अपने हिसाब से परिभाषित करने की कोशिश है। उन्होंने कहा, ‘‘महापुरुषों को कोई अपने हिसाब से परिभाषित नहीं कर सकता।
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