नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कोरोना मरीजों (Corona Patient) और होम आइसोलेशन (Home Isolation) के दौरान इस्तेमाल किए गए पीपीई किट्स, ग्लव्स, मास्क आदि सीधे कचरे में फेंक कर लैंडफिल साइट (Landfill Site) पर जाने का सिलसिला अब बंद होगा। सफाईकर्मियों के संक्रमित होने की संभावनाओं व कचरे के सही निपटान के लिए पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण ने अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड व राज्य प्रदूषण नियंत्रण कमेटियों को इस कचरे के निपटान के लिए सख्त निगरानी सहित कई निर्देश दिए हैं।
कोरोना रोगियों के कचरे के निपटान के लिए पिछले महा से आंकड़े को जुटाना शुरू किया और सभी एजेंसियों को सख्ती से कहा गया कि वह इस कचरे के निपटान की सही जानकारी दें। उत्तरी दिल्ली, पूर्वी, दक्षिणी और नई दिल्ली ने एप्का को जांच के दौरान बताया कि होम आइसोलेशन वाले घरों से वह कचरा उठा तो रहे हैं लेकिन कचरे को बिजली बनाने वाले प्लांट को भेज रहे हैं, जहां उस कचरे को बिजली बनाने के लिए प्रयोग किया जाएगा।
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372 टन तक बढ़ा कोरोना मरीजों का कचरा यह कचरा बायो मेडिकल ट्रीटमेंट प्लांट में इंसीनरेशन के लिए नहीं भेजा जा सकता है। पता चला कि बड़ी तादाद में घरों से जो कचरा आ रहा है उसे अलग अलग नहीं किया जा रहा है और ना ही ऐसा करने वालों पर कोई जुर्माना लगाया जा रहा है। घर से कचरा लेने वालों को यह निर्देश दे दिए गए हैं। इसके बावजूद भारी संख्या में ग्लव्स, पीपीई किट्स, मास्क लैंडफिल साइट पर पहुंच रहे हैं। जबकि बोर्ड के निर्देशानुसार कोरोना के मरीज होम आइसोलेशन में है। उनके ग्लव्स, पीपीई किट्स मास्क आदि को अलग बैग में रखा जाएगा और उसके निपटान से पहले उसे 72 घंटे अलग छोड़ दिया जाएगा।
फिर अलग से उसे कचरे वाले को दिया जाएगा, लेकिन देखा जा रहा है कि यह लोग सीधे कचरा उठाने वालों को उसे दे देते हैं जिससे वह ऐसे ही लैंडफिल साइट भेज रहे हैं। आंकड़ों को देखें तो अप्रैल में मात्र 25 टन ये। का कचरा था वह जून में बढ़कर 372 टन से अधिक हो गया है।
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एनसीआर के ग्रामीण इलाकों में ज्यादा समस्या सीपीसीबी ने इसके बाद ऐप विकसित कर सभी निगम अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह रोजाना स्थिति की जानकारी दें। एप्का के चेयरमैन भूरे लाल ने कहा कि इस मुद्दे पर सिफारिश की है। सभी राज्य सरकारों के प्रदूषण बोर्ड कमेटियां, हरियाणा, यूपी, राजस्थान दिल्ली ऑनलाइन इमिशन मॉनिटरिंग सिस्टम लगाएं, जिससे प्लांट्स पर पूरी तरह से निगरानी रखी जा सके। एनसीआर के ग्रामीण इलाकों में समस्या ज्यादा है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों तक पंचायत स्तर पर जाकर पॉजिटिव रोगियों के यहां जाकर कचरा उठाती है। इसके लिए भी विशेष योजना बने।
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