नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के लिए अगले 30 साल के लिहाज से अपने दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा कि दुनिया में अभूतपूर्व उथल-पुथल के इस दौर में समय और हवा का रुख चीन के पक्ष में है। शी 2012 में सत्ता में आने के बाद से माओ त्से तुंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता हैं। माओ ने 1921 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की थी जो 1949 से सत्ता में है।
समय और हवा का रुख चीन के पक्ष में 67 वर्षीय चीनी नेता ने कम्युनिस्ट पार्टी के कैडरों को सोमवार को संबोधित करते हुए कहा कि उनका मानना है कि कोविड-19 महामारी, आपूर्ति श्रृंखला में अवरोधों, पश्चिमी देशों के साथ बिगड़ते रिश्तों और मंद होती अर्थव्यवस्था समेत अनेक चुनौतियों के बावजूद समय और हवा का रुख चीन के पक्ष में है। कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे पहला मामला मध्य चीन के वुहान शहर में ही एक वर्ष पहले आया था। इस वायरस से अब तक दुनियाभर में 19,44,750 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गयी है।
आधुनिक समाजवादी देश के निर्माण के लिए अच्छी शुरुआत हांगकांग से प्रकाशित ‘साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट अखबार ने शी के हवाले से लिखा, दुनियाभर में उथल-पुथल मची है जो पिछली सदी में अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा, लेकिन समय और हवा का रुख हमारी तरफ है। यहीं हम अपनी दृढ़ धारणा और लचीलापन और साथ ही अपना संकल्प एवं आत्मविश्वास दर्शाते हैं। शी ने पूरी तरह आधुनिक समाजवादी देश के निर्माण के लिए अच्छी शुरुआत सुनिश्चित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अगले तीन दशक नये विकास का चरण होंगे जिसके दौरान चीन के लोग सीपीसी के नेतृत्व में धनवान होने से लेकर मजबूत होने तक आमूल-चूल बदलाव से गुजरेंगे।
शी के बयानों पर विश्लेषकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है। पश्चिमी विश्लेषकों ने जहां इसकी तुलना फ्रांसीसी शासक नेपोलियन बोनापार्ट की एक घोषणा से की है, वहीं चीनी पर्यवेक्षकों ने कहा कि यह भाषण चीन की राजनीतिक व्यवस्था और विकास में शी के विश्वास को झलकाता है।
आतंकवादियों के खिलाफ एक्शन लेने वाली कमेटी वहीं भारत से कूटनीति से हर मोर्चे पर मात खा रहा चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। ड्रैगन ने अपनी भड़ास का बदला निकालने के लिए संयुक्त राष्ट्र में एक कमेटी में भारत की अध्यक्षता में अड़ंगा लगाने की कोशिश की है। संयुक्त राष्ट्र भारत को आतंकवादियों के खिलाफ एक्शन लेने वाली एक कमेटी का अध्यक्ष बना रहा था। जिसे चीन ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके रोकने की कोशिश की है।
चीन ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि भारत पर अप्रत्यक्ष रुप से दवाब बनाया जा सके। चीन लगातार गाहे-बगाहे कोशिश कर रहा है भारत पर सीमा के बन रहे दवाब के बदले अलग तरीके से उसे परेशान किया जा सके। इसके लिए वह बार-बार ऐसी हरकतें करता रहता है। बता दें पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अजहर को लेकर भी अंतराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी घोषित कराने से पहले चीन ने भारत को काफी परेशान किया था।
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