नई दिल्ली/टीम डिजिटल। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय(एनएसडी) द्वारा आयोजित किए जा रहे 22वें भारत रंग महोत्सव के तीसरे दिन सोमवार को कमानी सभागार में ट्रेन टू पाकिस्तान नाटक का मंचन किया गया। इस नाटक में दर्शाया गया कि आजादी के बाद बॉर्डर के गांव मनो माजरा में सिखों और मुस्लिमों की क्या स्थिति थी। ये दोनों ही समुदाय मुस्लिमों से घृणा करने वाले सिखों और सिखों से घृणा करने वाले मुस्लिम मोब के बीच रह रहे थे।
22वें भारत रंग महोत्सव में आज रंगभूमि की नायिका का होगा मंचन कमानी सभागार में मंचित हुए इस नाटक में उस समय के हालातों, भयाभय स्थिति, डर, दहशत, गांव में हुई हत्याएं आदि को बहुत अ'छे तरीके से मंचित किया गया। इन्हीं दृश्यों के बीच नूरा और जुग्गत सिंह(जग्गा) की प्रेम कहानी नाटक देखने आए दर्शकों के लिए जरूर कुछ अ'छे पल लेकर आते हैं। सुभम कुमार द्वारा लिखित व बेला थिएटर समूह द्वारा मंचित 2 घंटे के इस नाटक के दृश्यों से कमानी सभागार में बैठे लोगों की भाव भंगिमाएं प्रतिपल बदलती रहीं।
ट्रेन टू पाकिस्तान लेखक खुशवंत सिंह द्वारा लिखा गया एक उपन्यास है उन्हें एहसास हुआ कि आजादी के बाद बॉर्डर क्षेत्र में बसे गांवों में किस तरह का माहौल व्याप्त हुआ होगा। दरअसल ट्रेन टू पाकिस्तान लेखक खुशवंत सिंह द्वारा लिखा गया एक उपन्यास है जो 1956 में प्रकाशित हुआ। इस उपन्यास में भारत पाकि स्तान बॉर्डर पर स्थित मनो माजरा गांव की देश के विभाजन के बाद की कहानी है। इस नाटक के निर्देशक अमर शाह कहते हैं कि ट्रेन टू पाकिस्तान मेरे लिए कई कारणों से विशेष है। मैंने एक दिन किताबों की दुकान पर पाकिस्तान मेल किताब देखी। ये किताब ट्रेन टू पाकिस्तान का हिंदी अनुवाद थी। मैंने इस किताब को जब पढ़ा तो एक नाटक के रूप में इसे देखने और करने की मेरी दिलचस्पी बढ़ गई। 16 अगस्त 2019 को पहली बार ट्रेन टू पाकिस्तान नाटक दर्शकों के सामने मंचित हुआ जिसे दर्शकों ने काफी सराहा। 22वें भारत रंग महोत्सव में आज रंगभूमि की नायिका नाटक का मंचन किया जाएगा।
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