नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल का मनरेगा कोष रोकने के लिए बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और गृहमंत्री अमित शाह से राज्य के अपने आसन्न दौरे के दौरान केंद्र का रुख स्पष्ट करने को कहा। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि गरीबों को उनके बकाये से वंचित करना जबरन मजदूरी कराने के बराबर है और संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन है। इसके साथ ही मोइत्रा ने यूपी में अतीक अहमद के बेटे के एनकाउंटर पर भी सवाल उठाए।
Honourable Thok Do CM’s latest encounter killings again celebrate the jungle rule the BJP pass off as Ram Rajya… https://t.co/cGS1dfa6yB — Mahua Moitra (@MahuaMoitra) April 13, 2023
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भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान योजना के खर्च का विवरण नहीं दिया है। तृणमूल कांग्रेस और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य का महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कोष रोकने के लिए केंद्र की बार-बार आलोचना की है। शाह के शुक्रवार से राज्य के निर्धारित दो दिवसीय दौरे का जिक्र करते हुए मोइत्रा ने कहा कि उन्हें जवाब देना होगा कि केंद्रीय योजना के तहत काम करने के बावजूद 100 दिनों की कार्ययोजना में लगे गरीबों को उनका बकाया क्यों नहीं मिला है।
मोइत्रा ने कहा, ‘‘जब आप केंद्र में शासन कर रही भाजपा के नेता के रूप में यहां आने पर आपको जवाब देना होगा कि 100 दिनों की कार्ययोजना के तहत काम करने के बावजूद हमारे श्रमिकों को भुगतान क्यों नहीं किया गया है। मनरेगा को इस विचार के साथ शुरू किया गया था कि अति गरीब को कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी मिले। यह गारंटी भारत सरकार देती है।''
मोइत्रा ने कहा, ‘‘कानून यह भी कहता है कि अगर किसी श्रमिक को 15 दिनों के भीतर उसका वेतन नहीं मिलता है, तो वह मुआवजे का हकदार है।'' उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल को दिसंबर 2021 से मनरेगा भुगतान में 7,500 करोड़ रुपये से वंचित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें से 2,800 करोड़ रुपये मजदूरी के भुगतान के लिए है। टीएमसी विधायक ने कहा, ‘‘नतीजतन, 17 लाख परिवार एक साल से अधिक समय से पीड़ित हैं। शीर्ष अदालत के दो आदेशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान न करना जबर्दस्ती मजदूरी कराना और संविधान के अनुच्छेद 23 का उल्लंघन है।''
उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में 151 केंद्रीय दल बंगाल भेजे गए हैं और राज्य सरकार ने कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की है। उन्होंने कहा, ‘‘फिर भी 2023-24 के लिए आवंटन शून्य है।'' टीएमसी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने केंद्र द्वारा मनरेगा कोष जारी नहीं करने के बारे में "झूठ फैलाने" के लिए सत्तारूढ़ दल की आलोचना की। उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार ने पिछले तीन वर्षों से मनरेगा कोष के खर्च का विवरण नहीं दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘मनरेगा कोष को रोक दिया गया है क्योंकि तृणमूल कांग्रेस सरकार आवश्यक दस्तावेज जमा करने में विफल रही है। पश्चिम बंगाल ने उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करना बंद कर दिया है। पहले इसे पहले प्राप्त धन के लिए जमा करने दें। राज्य को फिर से मनरेगा कोष मिलना शुरू हो जाएगा।''
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