नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली मेट्रो की सबसे लंबे रूट 59 किलोमीटर लंबे पिंक लाइन (मजलिस पार्क-शिव विहार) सफर मुश्किल भरा रहेगा। फेज चार का काम पूरा होने के बाद फेज तीन के इस पिंक लाइन को भी गति मिलेगी। जिस कारण वर्तमान में इस रूट पर यात्रा करनेवाले को कई परेशानी उठानी पड़ रही है।
तीन लूप में चल रही है मेट्रो दिल्ली मेट्रो का सबसे घुमावदार सेक्शन त्रिलोकपुरी-शिव विहार है। इस कॉरीडोर पर 10 घुमावदार मोड़ है। जिस कारण इस कॉरीडोर पर तीन लूप में मेट्रो परिचालन किया जा रहा है। यानि शिव विहार से त्रिलोकपुरी के लिए सीधी मेट्रो नहीं मिलने से मौजपुर में मेट्रो बदलनी पड़ रही है।
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पहले लूप में शिव विहार से त्रिलोकपुरी के बीच यात्रियों को मौजपुर में मेट्रो बदलनी पड़ती है। शिव विहार से मौजपुर के बीच चार स्टेशन हैं। शिव विहार से चलने वाली मेट्रो मौजपुर से वापस हो जाएगी। यहां से आइपी एक्सटेंशन व त्रिलोकपुरी के लिए सीधी मेट्रो मिलेगी।
दूसरा लूप-मौजपुर से आइपी एक्सटेंशन के बीच जबकि तीसरे लूप में आइपी एक्सटेंशन से त्रिलोकपुरी तक सिंगल लाइन पर मेट्रो चलेगी। फेज चार में मजलिस पार्क से मौजपुर के लिए नया कॉरिडोर बनना है इसके बनने के बाद फेज तीन के स्टेशन कनेक्ट होने से यात्रियों को राहत मिलेगी।
त्रिलोकपुरी मेट्रो स्टेशन चालू नहीं 31 दिसम्बर को लाजपत नगर से मयूर विहार पॉकेट वन तक कॉरिडोर शुरू कर दिया गया। लेकिन त्रिलोकपुरी मेट्रो स्टेशन नहीं चालू होने से शिव विहार तक के सफर के लिए यात्रियों को उतरकर आगे के स्टेशन से मेट्रो लेनी पड़ रही है। डीएमआरसी के अनुसार इस लाइन पर लैंड अलॉटमेंट को लेकर प्रभावित लोगों के लिए पूरी जमीन नहीं मिलने के कारण एडजस्ट नहीं किया गया। सही रास्ते के लिए भी मिलनेवाली जमीन का मामला डीडीए में लंबित है।
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पब्लिसिटी पाने की कोशिश : तिवारी केजरीवाल दिल्ली मेट्रो फेज-4 को जानबूझ कर रोक कर इसका आरोप केन्द्र सरकार पर लगाते है ताकि किसी भी तरह से मीडिया की सस्ती लोकप्रियता को अपने पक्ष में कर पाएं। ऐसा कर वह दिल्ली की जनता के हितों के साथ खिलवाड़ कर रहे है। मेट्रो फेज-4 से दिल्ली के गांव जुडऩे से वहां के लोगों को राहत मिलने वाली है।
दिल्ली सरकार की शर्तें बन रहीं बाधक : विजेंद्र नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कुछ दिन पूर्व मेट्रो फेज-4 को अनुमति तो जरूर दी लेकिन चोर दरवाजे से 2 असंवैधानिक शर्तें जोड़ दीं जो अब सामने आईं हैं। ये शर्तें मेट्रो अधिनियम तथा केन्द्र-दिल्ली सरकार के बीच पूर्व सहमतियों का उल्लंघन करती हैं।
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उन्होंने बताया कि पहली शर्त यह लगाई गई है कि केन्द्र तथा राज्य सरकार 50-50 प्रतिशत ऑपरेशन हानि बांटेंगीं। दूसरी शर्त यह है कि दिल्ली सरकार किसी भी बाहरी लोन का खर्चा नहीं उठाएगी। ये लोन जापान इंटरनेशनल कोआपरेशन एजेंसी द्वारा मेट्रो परियोजना को फंड उपलब्ध कराने के लिए दिया जाता है।
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