नई दिल्ली/कुमार आलोक भास्कर। अभी हाल ही में संपन्न हैदराबाद नगर निगम चुनाव ने देश भर में खूब सुर्खियां बटोरी है। खासकरके जब से बीजेपी एक लंबी छलाग लगाते हुए राज्य के प्रतिष्ठित नगर निगम चुनाव में दूसरे नंबर की पार्टी बनी। हालांकि अब कवायद इस बात की शुरु होगी कि फिर से मेयर का पद बचाने में टीआरएस सफल होती है कि नहीं?
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बीजेपी ने किया बेहतरीन प्रदर्शन
बता दें कि हैदराबाद नगर निगम के 150 सीट में से टीआरएस को 150 में से 55, भाजपा को 48, एआईएमआईएम को 44 तथा कांग्रेस को दो सीटों पर जीत हासिल हुई है। जिसके बाद सारे समीकरण ध्वस्त हो गए। कारण किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल सका। उधर माना जा रहा है कि नगर निगम के महापौर पद फिर से टीआरएस बरकरार रख सकती है। इसके लिये उसे औवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से हाथ मिलाना पड़ेगा।
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टीआरएस के लिये खड़ी हुई मुश्किलें
दूसरी तरफ टीआरएस फिलहाल इस आकलन में जुट गई है कि किसी भी दल के समर्थन के बिना मेयर पद कैसे काबिज किया जा सके। इसके लिये एक प्रावधान की गहनता से अध्ययन किया जा रहा है जिसमें लोकसभा सदस्य तथा शहरी इलाके के विधायक जीएचएमसी के पदेन सदस्य होते हैं, जो मेयर के चुनाव में मतदान करने का अधिकार का प्रयोग कर सकते है।
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औवैसी की पार्टी बनी तीसरे नंबर की पार्टी
टीआरएस के पास ऐसे सदस्यों की लंबी लिस्ट है जो समय पर उनके पक्ष में मतदान कर सकते है। लेकिन एक पेंच है जिसके तहत वैसे सदस्य मतदान नहीं कर सकते है जिन्होंने हाल के संपन्न चुनाव में मतदान किया है। फिर यहीं से सियासत शुरु हो सकती है। हालांकि मौजूदा निगम चुनाव का कार्य.काल 10 फरवरी तक है। इसलिये टीआरएस को समर्थन हासिल करने के लिये पर्याप्त समय है।
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