नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। भारत-चीन सीमा विवाद के बाद से भारत से चीन के प्रति अपना कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टॉप आर्थिक सलाहकार लैरी कुडलो ने कहा है कि चीन के मुकाबले भारत एक बड़ा प्रतिस्पर्धी बनकर उभर रहा है। कुडलो ने मीडिया से बात करते हुए कहा भारत द्वारा की गई कारपोरेट टैक्स में कटौती से निवेशक भारत के प्रति पहले से अधिक आकर्षित होंगे। राहुल गांधी ने दिया बड़ा बयान, बोले- खराब अर्थव्यवस्था और विदेश नीति के कारण चीन आक्रामक हुआ भारत, चीन का एक बड़ा कॉम्पिटिटर-लैरी मीडिया रिपोर्ट द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक, लैरी ने कहा, मुझे लगता है भारत में अमेरिकी कंपनियों को जो इंवस्टमेंट है वो काफी दिलचस्प है। उन्होंने कहा लोग धीरे-धीरे चीन से मुंह मोड़ रहे हैं आज के समय में चीन पर कोई भरोसा नहीं करना चाहता। ऐसे में भारत एक बड़ा कॉम्पिटिटर बन कर उभर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में खुलासा, पिछले 10 सालों में भारत में गरीबी रेखा से बाहर आए 27.3 करोड़ भारत और अमेरिका के संबंध मजबूत हुए हैं उन्होंने कहा, भारत ने अपने कॉर्पोरेट टैक्स रेट में पहले की अपेक्षा काफी कमी की कर दी है। उन्होंने कहा, मुझे पता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मेरी सिफारिश थी, जब मैं उनसे 18 महीने पहले मिला था। भारत और अमेरिका के संबंध पहले से काफी मजबूत हुए हैं। ऐसे में भारत एक बहुत ही अटरेक्टिव इंवेस्टमेंट प्लेस हो सकता है।
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भारत में कॉरपोरेट टैक्स में हुई कमी दरअसल, भारत में कॉरपोरेट टैक्स की दरों को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े नए उद्योंगों के लिए दर 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गई थी। इस दौरान कुडलो ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा, कोरोना संक्रमण के कारण अमेरिका का व्यापार के मामले में चीन के साथ पहले जैसी कोई बात नहीं रही।
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टिक टॉक बन सकती है अमेरिकी कंपनी इस दौरान उन्होंने चीनी कंपनी टिक टॉक का जिक्र करते हुए कहा, प्रतिबंध से बचने के लिए ये ऐप चीन से अलग हो सकता है। उन्होंने यहां तक कह दिया की ये जल्द अमेरिकी कंपनी के रुप में काम करती नजर आएगी। दरअसल, भारत सरकार ने हालिया लद्दाख विवाद के बाद से चीन के 59 एप को देश में बैन कर दिया है। उन्होंने कहा टिक टॉक पर अमेरिका ने अभी बैन लगाने को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा, जल्द ये ऐप अमेरिकी कंपनी के रूप में काम करेगा।
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