Saturday, Sep 30, 2023
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two thousand rupee notes will now be out of circulation, opposition targets pm modi

दो हजार रुपये के नोट अब चलन से होंगे बाहर, विपक्ष ने PM मोदी पर साधा निशाना

  • Updated on 5/20/2023

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2,000 रुपये के नोट को सितंबर, 2023 के बाद चलन से बाहर करने की शुक्रवार को घोषणा की। इस मूल्य के नोट को बैंकों में 23 मई से जाकर बदला जा सकता है। आरबीआई ने शाम को जारी एक बयान में कहा कि अभी चलन में मौजूद 2,000 रुपये के नोट वैध मुद्रा बने रहेंगे।

आरबीआई ने बैंकों को 30 सितंबर तक ये नोट जमा करने एवं बदलने की सुविधा देने को कहा है। बैंकों में 23 मई से 2,000 रुपये के नोट बदले जा सकेंगे। हालांकि एक बार में सिर्फ 20,000 रुपये मूल्य के नोट ही बदले जाएंगे।

इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों से 2,000 रुपये का नोट देना तत्काल प्रभाव से बंद करने को कहा है। आरबीआई ने 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट चलन से हटाने के बाद नवंबर, 2016 में 2,000 रुपये के नोट पहली बार जारी किए थे।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2,000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा किये जाने पर शुक्रवार को विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘स्वयंभू विश्वगुरु की चिरपरिचित शैली। पहले करो, फिर सोचो। आठ नवंबर, 2016 को तुगलकी फरमान (नोटबंदी) के बाद बड़े धूमधाम से 2000 रुपये का नोट जारी किया गया था। अब इसे वापस लिया जा रहा है।''

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) समेत वामपंथी दलों, समाजवादी पार्टी (सपा) और आम आदमी पार्टी (आप) तथा तृणमूल कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी के कुछ सप्ताह बाद सरकार और आरबीआई को 500 रुपये का नोट फिर से पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा था और अगर केंद्र सरकार फिर से 1,000 रुपये का नोट भी पेश करती है तो उन्हें आश्चर्य नहीं होगा।

उन्होंने ट्वीट किया, “2000 रुपये का नोट शायद ही लेनदेन का एक लोकप्रिय माध्यम है। हमने नवंबर 2016 में यह कहा था और हम सही साबित हुए हैं। 2,000 रुपये का नोट लेनदेन में लोकप्रिय रहे 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलने से बाहर करने के मूर्खतापूर्ण निर्णय को ढंकने वाला ‘बैंड एड' था।” सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘कुछ लोगों को अपनी गलती देर से समझ आती है… 2000 रुपये के नोट के मामले में भी ऐसा ही हुआ है। लेकिन इसकी सज़ा इस देश की जनता और अर्थव्यवस्था ने भुगती है।” इसी ट्वीट में यादव ने कहा है, “शासन मनमानी से नहीं, समझदारी और ईमानदारी से चलता है।”

दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी 2000 के नोट का इस्तेमाल बंद करने के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट किया, “पहले बोले 2000 का नोट लाने से भ्रष्टाचार बंद होगा। अब बोल रहे हैं 2000 का नोट बंद करने से भ्रष्टाचार ख़त्म होगा। इसीलिए हम कहते हैं, प्रधानमंत्री पढ़ा लिखा होना चाहिए। एक अनपढ़ पीएम को कोई कुछ भी बोल जाता है। उसे समझ आता नहीं है। भुगतना जनता को पड़ता है।” माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि यह “2016 में हुई नोटबंदी के फैसले के उलट है। प्रधानमंत्री मोदी ने तब बड़े जोर-शोर से कहा था कि विमुद्रीकरण (नोटबंदी) से कालाधन, भ्रष्टाचार, आतंकवाद को वित्तपोषण जैसी समस्याएं खत्म हो जाएंगी और इससे डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।”

येचुरी ने कहा कि यह कदम इन सभी मोर्चों पर एक निराशाजनक विफलता है। उन्होंने ट्वीट किया, “मोदी द्वारा हमारी अर्थव्यवस्था को बर्बाद किए जाने और राष्ट्रीय संपत्ति को लूटने का विरोध किया जाना चाहिए।” तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने एक ट्वीट में कहा, “भाजपा ने 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट को चलन से बाहर कर हर जगह भारतीयों के जीवन को प्रभावित किया!

उसने दावा किया था कि 2,000 रुपये का नोट शुरू होने से काला धन के प्रवाह पर रोक लगेगी। सात साल बाद, वे उस फैसले को वापस ले रहे हैं। यह भी मोदी का कोई मास्टर स्ट्रोक तो नहीं है।” भाकपा नेता बिनॉय विश्वम ने ट्वीट किया, “तुगलकी फैसले लेने वालों का देश के वित्तीय क्षेत्र पर नियंत्रण है। उन्होंने 2,000 रुपये के नोट वापस ले लिए हैं। वे तर्क दे सकते हैं कि यह मोदी के शासन में अर्थव्यवस्था की ताकत को दर्शाता है।

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