Thursday, Nov 30, 2023
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union minister kailash choudhary said on farmers protest they are not real farmers pragnt

कृषि मंत्री का बड़ा बयान- असली किसान कानून से परेशान नहीं, विपक्ष भड़का रहा आंदोलन

  • Updated on 12/7/2020

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। केंद्र सरकार (Central Government) के नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ विभिन्न किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को 'भारत बंद' का आह्वान किया है। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) की विभिन्न सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे हजारों किसानों (Farmers) के प्रतिनिधियों ने कहा है कि आठ दिसंबर को पूरी ताकत के साथ 'भारत बंद' (Bharat Bandh) किया जाएगा। इस बीच केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी (Kailash Choudhary) ने कथित तौर पर कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाएगा, लेकिन यदि जरूरी हुआ तो कानूनों में कुछ संशोधन किए जाएंगे।

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संशोधन पर कर सकते हैं विचार
कैलाश चौधरी ने कहा, 'कल जो बैठक हुई उसमें किसानों के सुझाव पर विचार-विमर्श किया गया। कृषि कानून किसानों को आजादी देने वाला कानून है। किसानों को अगर लगता है कि इसमें कुछ संशोधन की जरूरत है तो सरकार ने भी कहा है अगर आवश्यकता हुई तो हम संशोधन करेंगे।'

केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'मैं सभी किसान भाईयों से कहना चाहूंगा कि भारत बंद करने से देश का आर्थिक नुकसान होगा इसलिए मैं उन्हें थोड़ा पीछे हटने के लिए कहूंगा क्योंकि पीएम मोदी जी के नेतृत्व में जिस तरह से किसानों के हित में काम हुए उस तरह पहले कभी नहीं हुआ।'

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असली किसान कानून से परेशान नहीं- कैलाश चौधरी
समाचार एजेंसी पर दिए गए इंटरव्यू में कैलाश चौधरी ने कहा, 'मुझे पीएम मोदी के नेतृत्व और किसानों में विश्वास है। मुझे यकीन है कि किसान कभी भी ऐसा निर्णय नहीं लेंगे जिससे देश में कहीं भी अशांति पैदा हो। इन कानूनों ने उन्हें स्वतंत्रता प्रदान की है। मुझे नहीं लगता कि अपने खेतों में काम करने वाले असली किसान इससे परेशान हैं। कैलाश चौधरी ने कहा कि इन कानूनों ने किसानों को आजादी दी है।

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विपक्ष भड़का रहा आंदोलन
कृषि राज्य मंत्री ने साफ करते हुए कहा कि एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी। इसे हम लिखित में भी दे सकते हैं। मुझे लगता है कि कांग्रेस की राज्य सरकारें और विपक्ष किसानों को भड़काने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि देश के किसान इन कानूनों के पक्ष में हैं, लेकिन कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं। 

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किसान संगठनों का विरोध
गौरतलब है कि किसान संगठनों का कहना है कि तीनों नए कृषि कानून कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून, 2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून, 2020 और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर कृषक (संरक्षण एवं सशक्तीकरण) कानून-2020 से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था समाप्त हो जाएगी और वे बड़ी कंपनियों की ‘दया’ पर निर्भर हो जाएंगे। इन कानूनों को सितंबर में लागू किया गया है।

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कही ये बात
अधिकारियों की तीनों यूनियनों ने संयुक्त बयान में कहा, ‘‘हमारे देश को शांति चाहिए और किसानों की दिक्कतों को दूर किया जाना चाहिए। कोविड-19 महामारी के दौरान सिर्फ कृषि ही ऐसा क्षेत्र था, जिसका प्रदर्शन सकारात्मक रहा। यह इस क्षेत्र की बुनियादी ताकत को दर्शाता है।’

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आज लगातार 12 वें दिन आदोंलन जारी
दरअसल, नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आज लगातार 12 वें दिन आदोंलन कर रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच अब तक हुई पांच बैठकों के बाद भी कोई हल नहीं निकल सका है। किसानों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए कल यानी आठ दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। किसानों के इस आंदोलन को कांग्रेस, आम आदमी पार्टी का समर्थन पहले से ही मिल चुका है, ऐसे में अब शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना ने भी किसनों के बंद को अपना समर्थन दे दिया है। किसनों के आंदोलन को विभिन्न दलों से मिल रहे समर्थन के बाद ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है कि अब ये आंदोलन और उग्र हो सकता है।

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आठ दिंसबर को भारत बंद का आह्वान
हजारों प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा है कि मंगलवार को पूरी ताकत के साथ देशव्यापी हड़ताल की जाएगी। ये किसान तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। बयान में कहा गया है, 'राजनीतिक दलों के हम दस्तखत करने वाले नेतागण देशभर के विभिन्न किसान संगठनों द्वारा आयोजित भारतीय किसानों के जबर्दस्त संघर्ष के साथ एकजुटता प्रकट करते हैं और इन पश्चगामी कृषि कानूनों एवं बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग को लेकर उनके द्वारा आठ दिंसबर को किये गये भारत बंद के आह्वान का समर्थन करते हैं।'

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कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने  दिया समर्थन
बता दें कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ 8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद का ऐलान किया है। ऐसे में अब किसानों के भारत बंद को लेकर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, टीआरएस समेत कई पार्टियों ने अपना समर्थन दिया है।

9 दिसंबर को किसान और सरकार के बीच अगली बैठक
दरअसल, नए कृषि कानूनों (New Farm Bill) के विरोध में किसानों का आदोंलन आज 11वें दिन भी लगातार जारी है। ऐसे में सरकार और किसानों के बीच बैठकों का दौर भी जारी है। अब तक हुई पांच बैठकों के बाद भी समस्या जस-की-तस बनी हुई है। पंजाब व हरियाणा से आए किसान लगातार 11वें दिन से दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान और सरकार के बीच 5वें दौर की बैठक समाप्त हो चुकी है। ये बैठक एक बार फिर बेनतीजा साबित रही। हालांकि सरकार और किसान संगठन से जुड़े नेताओं के बीच अगले दौर के बातचीत के लिये सहमति बन चुकी है। यह बैठक अब 9 दिसंबर को होगी। 

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