नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। किसान नेताओं ने शनिवार को कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने संसद तक 29 नवंबर को आहूत अपने ट्रैक्टर मार्च को स्थगित कर दिया है और अगले महीने एक बैठक में आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। सिंघू बॉर्डर प्रदर्शन स्थल पर किसान संगठनों की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने केंद्र से उनकी लंबित मांगों के समाधान के लिए बातचीत फिर से शुरू करने का भी आह्वान किया। एसकेएम नेताओं ने कहा कि किसानों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की उनकी मांगों को सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है।
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मार्च को स्थगित करने का निर्णय संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से दो दिन पहले किया गया है। संसद सत्र के दौरान तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए एक विधेयक पेश किया जाना है। एसकेएम के नेता दर्शन पाल ने कहा, ‘‘हम सोमवार को प्रस्तावित संसद मार्च को स्थगित कर रहे हैं। हमने किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने, (आंदोलन के दौरान) जान गंवाने वाले किसानों का स्मारक बनाने के लिए भूमि आवंटन, लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर अजय मिश्रा ‘टेनी’ को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने समेत अन्य मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था।’’
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दर्शन पाल ने कहा कि एसकेएम अपनी अगली बैठक चार दिसंबर को आयोजित करेगा, जिसमें प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र पर सरकार की प्रतिक्रिया का विश्लेषण किया जाएगा और उसके अनुसार आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। एसकेएम ने 21 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छह मांगों को लेकर एक खुला पत्र लिखा और इन पर सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की मांग की। मांगों में एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, पराली जलाने के लिए और आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेना, विरोध के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए स्मारक बनाना, बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेना और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को हटाने की मांग शामिल है, जिनका बेटा बेटा लखीमपुर खीरी हिंसा का आरोपी है।
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पिछले हफ्ते, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाएगा। किसान नेता राजवीर जादौन ने कहा, ‘‘सबसे जरूरी चीज यह है कि सरकार अपनी घोषणाओं को मीडिया के माध्यम से प्रसारित करने के बजाय एसकेएम से बात करे। एमएसपी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसकी कानूनी गारंटी के बिना, आंदोलन जारी रहेगा।’’ एसकेएम ने एक बयान में कहा कि उसने 21 नवंबर की तारीख वाले अपने पत्र पर प्रधानमंत्री का जवाब नहीं मिलने का संज्ञान लिया है और वह सरकार से वार्ता प्रक्रिया को फिर से शुरू करने और लंबित मुद्दों पर चर्चा करने का आह्वान करता है। एसकेएम ने कहा, ‘‘लोकतंत्र में, यह चुनी हुई सरकार का कर्तव्य है कि वह विरोध कर रहे किसानों से चर्चा करे और विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करे।’’
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इससे पहले दिन में, प्रदर्शनकारी किसानों से अपना आंदोलन समाप्त करने की अपील करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र ने पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की उनकी मांग पर सहमति जताई है। एसकेएम ने कहा कि 100 से अधिक संगठन रविवार को मुंबई के आजाद मैदान में संयुक्त शेतकरी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के बैनर तले ‘किसान-मजदूर महापंचायत’ का आयोजन करेंगे।
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