Saturday, Sep 23, 2023
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ठाकुर समेत 3 IPS अधिकारियों को कार्यकाल से पहले मोदी सरकार ने किया रिटायर

  • Updated on 3/23/2021

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) उत्तर प्रदेश कैडर के तीन अधिकारियों को सेवा पूरी होने से पहले ही‘लोकहित’में सेवानिवृत्त (रिटायर) किये जाने का फैसला किया है। सेवानिवृत्त किये गये 1992 बैच के एक आईपीएस अधिकारी (संयुक्त निदेशक सिविल डिफेंस) अमिताभ ठाकुर ने मंगलवार को खुद ही उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी आदेश की प्रति ट्वीट करते हुए यह जानकारी दी। ट्वीट में संलग्न उत्तर प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी के आदेश के मुताबिक गृह मंत्रालय, भारत सरकार के 17 मार्च के आदेश के द्वारा 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को‘लोकहित’में सेवा में बनाये रखने के उपयुक्त नहीं पाते हुए तत्काल प्रभाव से सेवा पूर्ण होने से पहले सेवानिवृत्त किये जाने का निर्णय लिया गया है। 

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ठाकुर ने अपने ट्वीट में कहा,‘‘मुझे अभी-अभी लोकहित में सेवानिवृत्ति का आदेश प्राप्त हुआ, सरकार को अब मेरी सेवाएं नहीं चाहिए, जयहिंद। ‘’ठाकुर समय-समय पर सरकार के फैसलों की आलोचना करते रहे हैं। सोमवार को ठाकुर ने एक ट्वीट में कहा था,‘‘मुझे साथियों ने लखनऊ पुलिस की एक महिला अफसर की दबंग घूसखोरी की कई र्चिचत कहानियां सुनाई हैं। लगता है इस शाविका ने‘‘मिशन शक्ति‘’का गलत अर्थ समझ लिया है।‘‘ ठाकुर ने 23 नवंबर, 2016 को गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर अपना कैडर बदलने की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी उनके साथ कट्टर शत्रु जैसा व्यवहार कर रहे हैं। 

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यह दूसरी बार था जब 1992 बैच के इस अधिकारी ने इस संबंध में केंद्र को लिखा। उन्होंने इससे पहले भी अपनी जान को खतरा बताते हुए कैडर बदलने के लिए मंत्रालय को एक आवेदन भेजा था। केंद्र को लिखे पत्र में आईपीएस अधिकारी ने कहा था कि स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। उन्होंने मौजूदा परिस्थितियों में काम करने में असमर्थता व्यक्त जताते हुए उन्हें राज्य से बाहर भेजने की मांग की थी। केंद्र ने जनवरी 2017 में ठाकुर के कैडर बदलने के अनुरोध को ठुकरा दिया था। 

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ठाकुर को 13 जुलाई, 2015 को निलंबित कर दिया गया था, जब उन्होंने समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव पर धमकी देने का आरोप लगाया था। उन्होंने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग सार्वजनिक की थी जिसमें कथित तौर पर सपा प्रमुख ने उन्हें धमकी दी थी। इसके बाद, राज्य सरकार ने उनके खिलाफ सतर्कता जांच शुरू की थी। हालांकि, अप्रैल में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की लखनऊ पीठ ने ठाकुर के निलंबन को रोक दिया और 11 अक्टूबर, 2015 से पूरे वेतन के साथ उनकी बहाली का आदेश दिया। ठाकुर को 17 मई, 2018 को संयुक्त निदेशक नागरिक सुरक्षा के रूप में तैनात किया गया था। 

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प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक अमिताभ ठाकुर के अलावा 2002 बैच के एक पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) और 2005 बैच के एक पुलिस अधीक्षक (एसपी) को भी सेवा पूर्ण होने से पहले सेवानिवृत्त किये जाने का निर्णय लिया गया है। अवनीश कुमार अवस्थी ने इस सूचना की पुष्टि की है। उल्लेखनीय है कि सीधी सेवा के 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर का कार्यकाल अभी जून, 2028 तक बचा है जबकि राज्य पुलिस सेवा से प्रोन्नत होकर आईपीएस बने अन्?य दोनों अधिकारियों का कार्यकाल क्रमश : जून 2023 और अप्रैल 2024 तक है। इन अधिकारियों के खिलाफ कई मामलों में जांच चल रही है। 

 

 

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