नई दिल्ली (निशांत राघव/नवोदय टाइम्स): उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी की दस्तक की धमक दिल्ली भाजपा की चिंतन बैठक में शुरू होने से पूर्व ही सुनाई देने लगी है। माना जा रहा है कि इसी वजह से दिल्ली प्रदेश भाजपा के इतिहास में पहली बार प्रदेश से बाहर होने वाली 2 दिवसीय चिंतन बैठक(कोर कमेटी) रखी गई है। हालांकि बैठक शुरू होने से पहले ही प्रदेश नेतृत्व के लिए अलग ही चिंता का सबब बनती नजर आ रही है। बैठक 23 और 24 अगस्त को हरिद्वार में होगी।
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जिसमें प्रदेश नेतृत्व के अलावा राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष व कुछ अन्य वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता भी शामिल रह सकते हैं। चर्चा है कि बैठक में जिस तरह से पदाधिकारियों की संख्या बढ़ाई जा रही है, उसमें बैठक के मूल उद्देश्य से अधिक हरिद्वार जैसे स्थल पर आगामी एमसीडी चुनाव के लिए " पुण्य" हासिल करने की होड़ अधिक है।
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दरअसल बैठक में प्रदेश भाजपा के काम की समीक्षा, एमसीडी चुनाव को लेकर रणनीतिक रूप से तैयारी, केंद्र सरकार की नीतियों को किस तरह से जनता के बीच और अच्छे तरीके से रखा जाए व आप सरकार की खामियों के विरुद्ध जन आंदोलन को लेकर भी चिंतन विशेष रूप से किया जाएगा। कोर कमेटी की बैठक में नियमानुसार प्रदेश अध्यक्ष, संगठन महामंत्री, सभी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, सातों सांसद, नेता प्रतिपक्ष, प्रभारी, सह प्रभारी और तीनों महामंत्री एवं विशेष आमंत्रित अतिथि ही शामिल होते रहे हैं। लेकिन इस बार नियम की अनदेखी ही प्रदेश नेतृत्व के लिए संकट पैदा कर रही है।
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मजेदार बात ये है कि अपने कुछ चहेते नेताओं को चिंतन बैठक में शामिल करने के लिए इस संकट को खुद प्रदेश शीर्ष नेतृत्व ने ही पैदा किया है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक नौबत ये है कि अब चिंतन बैठक पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बनती जा रही है। क्योंकि इसमें नियम से परे सभी उपाध्यक्ष, सभी मोर्चा अध्यक्ष, प्रभारी, सह प्रभारी को भी शामिल करने पर मुहर लग चुकी है। सूत्रों का कहना है कि रविवार तक इसमें संख्या और बढऩे की संभावना है।
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क्योंकि अब प्रदेश और मोर्चा मंत्रियों ने भी बैठक में शामिल होने के लिए अपनी आवाज ऊंची की है। उनका तर्क है कि जब चिंतन बैठक (कोर कमेटी) में नए प्रवक्ताओं को शामिल किया जा सकता है तो वे तो पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं। आखिर उनमें क्या दोष है। वैसे पार्टी सूत्रों का कहना है कि बैठक में भले ही चिंतन के विभिन्न मुद्दे सामने आएं, लेकिन फिलहाल तो पार्टी प्रदेश नेतृत्व को इस मुद्दे से निपटने में ही पसीने ला दिए हैं।
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