नई दिल्ली। अनामिका सिंह। आगामी सप्ताही से गणेश महोत्सव की शुरूआत होने जा रही है। ऐसे में विध्नहर्ता ने अपने आगमन से पहले ही राजधानी के मूर्तिकारों का विध्न टाल दिया है। दरअसल दो साल कोरोना के चलते गणेश महोत्सव हो या दुर्गा पूजा हर त्योहार पर लॉकडाउन व अन्य पाबंदियों के चलते नुकसान ही झेलना पड़ा था। लेकिन इस बार जब प्रत्येक त्योहार सामान्य रूप से मनाए जा रहे हैं तो लोग भी भगवान श्रीगणेश की मूर्तियों की एडवांस बुकिंग करवा रहे हैं, जिससे मूर्तिकारों के चेहरों की रौनक लौट आई है। सड़कों पर घूमते लाखों बच्चे हो रहे हैं नशे का शिकार, एनसीपीसीआर के राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में हुआ ख
आजादी के रंग से सराबोर दिखाई देंगे गणपति राजधानी में कई जगहों पर मूर्तियों को बनाए जाने का काम सड़क किनारे किया जा रहा है। छोटी से लेकर बड़ी हर तरह की और भगवान गणेश की लीलाओं व विभिन्न रूपों में मूर्तियां बनाई जा रही हैं। लेकिन इस साल देश ने अपने आजादी का अमृत महोत्सव मनाया है जिसे देखते हुए कारीगरों के पास ऐसी मूर्तियों को बनाने का ऑर्डर भी आ रहा है, जिसमें भगवान गणेश ने हाथ में तिरंगा ले रखा है। या फिर लंबोदर खुद तिरंगामय दिखाई देंगे। इसके अलावा सर्पसिंघासन पर विराजमान गजानन, मूषकराज के साथ गजानन, नृत्य करते गणपति, आराम करते गजानन सहित विभिन्न आकारों व रूपों में गणपति भगवान की मूर्तियों को कारीगरों द्वारा अब अंतिम रूप दिया जा रहा है। ज़ू कीपर्स : बेजुबान वन्यजीवों की जो समझते हैं बात
कई कारीगर मिलकर कर रहे हैं एक मूर्ति को तैयार तिलक नगर काली बाड़ी में मूर्तियों का काम करने वाले कारीगर संतोष प्रजापति ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण बीते दो साल से हमारा काम ठप पड़ गया था। काफी नुकसान हुआ लेकिन अब राहत मिल रही है। हम इस साल तीन व पांच फीट से कम ऊंचाई की मूर्तियां बना रहे हैं। उन्होंने बतया कि यहां 100 मूर्तियों को तैयार करने में करीब 18 कारीगरों ने मेहनत की है। सभी मूर्तियां मिट्टी से बनाई जा रही हैं। भारत और यूरोपियन देशों के विश्वविद्यालयों में गठजोड़ की दरकार : डॉ. वर्मा
बड़ी मूर्तियों में होती है अच्छी बचत नंगली सकरावती में मूर्तियां बना रहे परमू प्रधान ने बताया कि हमारे यहां छोटी मूर्तियां 12 सौ रुपये से लेकर 35 सौ रुपये तक की हैं जबकि बड़ी मूर्तियों की शुरुआती कीमत चार हजार रुपए से लेकर 35 हजार रुपए तक हैं। उन्होंने कहा कि छोटी मूर्तियों की बजाय बड़ी मूर्तियों में अच्छी बचत हो जाती है। इस साल हमने करीब 150 मूर्तियां बनाई हैं सबसे अच्छी बात यह है कि हमारी सभी मूर्तियों की एडवांस बुकिंग भी हो चुकी है। पृथक मिथिला राज्य की मांग को लेकर युवाओं ने किया जंतर-मंतर पर प्रदर्शन
ऑनलाइन भी बिक रही है इको फ्रेंडली मूर्तियां ऑनलाइन भी लोग इको फ्रेंडली गणपति की मूर्तियों को खूब खरीद रहे हैं लेकिन बाजार के मुकाबले ऑनलाइन गणपति मूर्तियों के दाम काफी अधिक हैं, जिसके पीछे की वजह इसे घर तक लाने में लगने वाला रिस्क व किराया बताया जा रहा है। बता दें कि 8.5 इंच की मूर्ति का दाम 1100 रूपए है जबकि 9 से 18 इंच की मूर्तियां 2200 रूपए तक में बिक रही हैं। ये पर्यावरण के अनुकूल होने की वजह से भी महंगी होती हैं जो पानी में जाते ही धूल जाती हैं।
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