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विशाखापट्टनम: लोगों की जान लेने वाली इस जहरीली केमिकल गैस के बारे में जान लीजिए

  • Updated on 5/7/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। विशाखापट्टनम के एक केमिकल प्लांट से निकलने वाली जहरीली गैस के कारण हजारों लोगों की बीमार होने की खबर ने सभी को डरा दिया है। यह खबर वैसी ही है जैसी भोपाल गैस त्रासदी की खबरें थीं।

भोपाल गैस त्रासदी को लोग आज तक नहीं भूल पायें हैं और आज जब सुबह विशाखापट्टनम से गैस लीक होने की खबरें आई तो लोगों के मन में एक बार फिर भोपाल गैस त्रासदी का खौंफ कोंध गया। लेकिन इस बीच ये भी सवाल मन में उठा कि आखिर ये हुआ कैसे और कौनसी गैस थी जिसने लोगों को बीमार बना दिया? आइए जानते हैं।

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कहां हुआ गैस का रिसाव
विशाखापट्टनम के हिंदुस्तान पॉलिमर कंपनी के प्लांट से इस गैस का रिसाव हुआ है। इस प्लांट में प्लास्टिक बनाने का काम होता है इसलिए यहां से जहरीली गैस बनती है। बताया जा रहा है कि इसमें पीवीसी केमिकल बनाया जाता है। इसका इस्तेमाल बिल्डिंग मटेरियल बनाने में होता है।

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क्या है ये जहरीला केमिकल
जानकारों की माने तो पीवीसी जिसे पॉलीविनाइल क्लोराइड कहा जाता है का सबसे ज्यादा इस्तेमाल बिल्डिंग मटेरियल बनाने में करते हैं। इसमें पीवीसी पाइप, विंडो फ्रेम, दरवाजे, ज्वाइंट्स, छत, टंकी जैसी उपयोगी टूल्स शामिल हैं। ये सस्ता, टिकाऊ और मजबूत होता है इसलिए इसका उपयोग ज्यादातर किया जाता है।

वैज्ञानिकों की माने तो पीवीसी दुनिया का तीसरा सबसे टिकाऊ और मजबूत प्लास्टिक प्रोडक्ट है। इससे पहले बिल्डिंग आदि बनाने में पॉलीइथालीन और पॉलीप्रोपाइलीन का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन यह बहुत ही घातक भी होती है। इसका केमिकल खतरनाक और जानलेवा होता है। जाहिर है कि यह प्लास्टिक की मदद से बनाया जाता है और प्लास्टिक तो वैसे भी सबसे बड़ा केमिकल जहर होता है।

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क्या है केमिकल का असर
इस केमिकल के संपर्क में आने से व्यक्ति की आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, बेहोश होना, उलटी आना, चक्कर आना, गिर जाने जैसे लक्षण देखे जाते हैं। इसके अलावा जो लोग इन केमिकल फैक्ट्रियों में काम करते हैं वो शारीरिक दुर्बलता के शिकार होते हैं और महिलाओं के पीरियड्स भी इससे प्रभावित होते हैं।

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क्या है ये जानलेवा गैस
इस केमिकल से जो गैस फैली वो स्टाइरीन गैस है। यह एक तरह का तरल पदार्थ होता है जो हवा के संपर्क में आते ही गैस बनकर उड़ने लगता है। केमिकल कंपनियां इसे इस्तेमाल करने के लिए इसमें एल्डीहाइड्स मिलाती हैं। वैसे तो इसमें कोई गंध नहीं होती लेकिन जब ये केमिकल इसमें मिला दिया जाता है तब इसमें बदबू आने लगती है।

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क्या है इसका इस्तेमाल
इसको पैकेजिंग मटेरियल, इलेक्ट्रिकल इंसुलेशन, घरों में इंसुलेशन, फाइबर ग्लास, प्लास्टिक पाइप्स, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, चाय के कप, कालीन जैसी चीजें बनाने में यूज़ किया जाता है। यह गैस फैक्ट्रीज के अलावा भी कहीं भी मिल सकती है।

जानकार कहते हैं कि यह गैस कहीं भी मिल सकती है जैसे मिट्टी में, धुएं में, फोटोकॉपी करने वाली मशीन में, फलों, सब्जियों, मांस आदि में भी लेकिन इनमें इसका स्तर बहुत कम होता है इसलिए ये हल्की ही महसूस की जाती है। लेकिन जब इसका प्लांट में केमिकल बनाने के लिए इस्तेमाल होता है तो इसकी गंध जहरीली हो जाती है।

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इस गैस का नुकसान
यह गैस काफी जहरीली होती है लेकिन उन चीजों से आने वाली गंध नही जो सामान्यतया हमारे रोज के जीवन में हम प्रयोग करते हैं, क्योंकि उनमें इसका स्तर बेहद कम होता है लेकिन अगर इसमें केमिकल मिला दिए जाए तो यह खतरनाक हो जाती है। अगर तब ये आपके सम्पर्क में आती है तो आपकी आंखों में समस्या हो सकती है। आप को कलर ब्लाइंडनेस हो सकती है। आप थकान महसूस करते हैं, आपको नशे के जैसा फील होगा, आपके मन की एकाग्रता खो जाएगी, आप के कानों पर भी इसका असर गहरा असर पड़ता है और साथ ही आपके लिवर में भी समस्या हो सकती है।

इसके अलावा इससे सांस लेने में परेशानी, शरीर पर रैशेज, आखों में जलन, उल्टी और बेहोशी जैसे लक्षण भी देखे जाते हैं।

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