Saturday, Jun 03, 2023
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ऐतिहासिक घाटे के बाद बैंकों के लिए सबसे बड़ा NPA बन सकती है Voda-Idea

  • Updated on 11/16/2019

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा तिमाही घाटा होने के बाद वोडाफोन-आइडिया बैंकों के लिए सबसे बड़ा नॉन-परफार्मिंग एसेट (NPA) बन सकती है। अगर कंपनी अपने समायोजित एकल राजस्व (AGR) का भुगतान सरकार को नहीं करती है और डिफॉल्टर होती है, तो सरकार इस कंपनी को मिली बैंक गारंटी को वापस ले सकती है। ऐसे में कंपनी का दिवालिया होना बैंकों के लिए मुसीबत बन सकता है। वोडाफोन-आइडिया को बैंकों ने एक लाख करोड़ रुपए का लोन दे रखा है। यह राशि बैंकों ने कंपनी के फंड और अन्य मदों में निवेश कर रखी है। इस राशि में ज्यादातर हिस्सा बैंक गारंटी के तौर पर दिया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी का कैपिटल एक्सपेंडिचर न के बराबर है। कंपनी के ज्यादातर खर्च सरकार को भुगतान करने में होता है।

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टेलीकॉम सेक्टर (Telecom Sector) में सबसे ज्यादा लोन एसबीआई (SBI) ने दिया हुआ है। 11 बैंकों ने टेलीकॉम कंपनियों को कुल 1.5 लाख करोड़ रुपए का लोन दिया है।  

सबसे ज्यादा SBI ने दिया है लोन

बैंक लोन (रुपयों में)
स्टेट बैंक 37,330 करोड़
एच.डी.एफ.सी. बैंक 24,515 करोड़
एक्सिस बैंक 17,135 करोड़
यूनियन बैंक 15,346 करोड़
बैंक ऑफ बड़ौदा 11,471 करोड़
पंजाब नेशनल बैंक 7,318 करोड़
आई.डी.बी.आई. बैंक 6,172 करोड़
केनरा बैंक 6,080 करोड़
यस बैंक 5,908 करोड़
कोटक महिंद्रा बैंक 4,676 करोड़
इंडसइंड बैंक 2,484 करोड़

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कंपनी पर है करोड़ों रुपए की देनदारी
वोडाफोन-आइडिया ने बयान जारी करते हुए कहा है कि उसके पास करीब 27,610 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस के तौर पर 30 सितंबर 2019 तक देनदारी थी। इसके अलावा 16,540 करोड़ रुपए स्पेक्ट्रम प्रयोग के तौर पर और 33,010 करोड़ रुपए ब्याज, जुर्माना व ब्याज पर लगे जुर्माने के तौर पर देना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसका 90 दिन के अंदर भुगतान करना है। 

कंपनी के सूत्रों ने बताया कि अगर एजीआर का भुगतान कंपनी 90 दिनों में नहीं करती है तो फिर सरकार बैंकों द्वारा दी गई गारंटी को लोन में बदलने को कहेगी। वोडाफोन और आइडिया पहले ही कह चुकी हैं कि वह इस संयुक्त उद्यम में किसी तरह की नई पूंजी का निवेश नहीं करेगी। दोनों कंपनियों ने कहा है कि वे लोन चुकाने से अच्छा खुद को दिवालिया घोषित करना पसंद करेंगी। ऐसे में जब कंपनी किसी भी लोन का भुगतान करने की स्थिति में नहीं होगी तो बैंकों को इसे लोन को एनपीए में तबदील करना पड़ेगा। 

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टेलीकॉम सेक्टर हो सकता है वित्तीय मोर्चे पर और बेहाल
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट और हेड ऑफ रिसर्च डा. रवि सिंह (Ravi Singh) ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से पहले से ही बेहाल चल रहे टेलीकॉम सेक्टर की हालत और खराब हो सकती है। अभी जितनी कंपनियां इस सेक्टर में कार्यरत हैं, उन पर 4 लाख करोड़ रुपए का बकाया है। नए निर्णय से इन कंपनियों को 1.3 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त बकाया बढ़ जाएगा। सरकार को टेलीकॉम सेक्टर को राहत देने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे, नहीं तो इससे डिजिटल इंडिया (Digital India) के कदमों पर ब्रेक लग जाएगा। जिन 16 कंपनियों को एजीआर का भुगतान करना है, उनमें से ज्यादातर बंद हो गई हैं। इससे बाकी कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ आ गया है, जिसको कम करने के लिए सरकार की तरफ से गठित पैनल को कार्य करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर कंपनियों का वित्तीय मोर्चे पर हाल और बेहाल हो सकता है।

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