नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। दिवंगत संगीतकार वाजिद खान की पत्नी कमलरुख खान ने दावा किया है कि इस्लाम स्वीकार करने से इंकार करने पर उनके सास-ससुर ने उन्हें‘‘भयभीत करने की रणनीति‘’अपनाते हुए‘‘अलग-थलग‘’करने की कोशिश की। संगीतकार साजिद-वाजिद की जोड़ी के वाजिद खान का जून में निधन हो गया था। इंस्टाग्राम के असत्यापित खाते के जरिए अपना अनुभव साझा करते हुए कमलरुख ने कहा कि वह पारसी हैं और उन्होंने‘‘दबंग‘’फिल्म के संगीतकार के साथ विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी की थी। सोशल मीडिया पर उपलब्ध विवरण के मुताबिक, कमलरुख मनोचिकित्सक हैं।
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कमलरुख द्वारा शुक्रवार को जारी एक लंबी पोस्ट में कहा गया कि वह एक ऐसे परिवार में पली-बढ़ीं, जहां शिक्षा, विचार की स्वतंत्रता और‘‘लोकतांत्रिक‘’मूल्यों को बढ़ावा दिया गया था लेकिन यह सब उनके पति के परिवार से मेल नहीं खाता था। कमलरुख ने दावा किया,‘’उन्हें एक शिक्षित और स्वतंत्र विचार वाली महिला स्वीकार्य नहीं थी और धर्मांतरण के दबाव का विरोध करना पाप जैसा था। मैंने हमेशा सभी उत्सवों का सम्मान किया, भागीदारी की और उन्हें मनाया।‘‘
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उन्होंने कहा,‘’लेकिन, धर्मांतरण से इंकार करना, मेरे और मेरे पति के बीच दूरियां बढऩे का कारण बनने लगा और पति-पत्नी के संबंधों के तौर पर इसे बर्बाद करने के लिए जहर भरा गया।‘‘ सोलह वर्षीय बेटी अर्शी और नौ वर्षीय बेटे रेहान की मां कमलरुख ने कहा,‘’मैं अपने वैवाहिक जीवन के दौरान हर समय इस भयानक सोच से हर स्तर पर लड़ती रही। इसका परिणाम यह हुआ कि मुझे मेरे पति के परिवार से अलग-थलग किया गया और धर्मांतरण की साजिश के तहत तलाक के लिए अदालत तक ले जाया गया।‘‘
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कमलरुख के आरोपों पर प्रतिक्रिया के लिए कई बार वाजिद के भाई साजिद खान से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संगीतकार की ओर से कोई जवाब प्राप्त नहीं हो सका। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ को शनिवार को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में पिछले मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी। इसमें विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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कमलरुख ने कहा कि धर्मांतरण के खिलाफ लाए गए कानून पर हर ओर जारी बहस ने उन्हें अंतरजातीय विवाह का अपना अनुभव साझा करने को विवश किया। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण कानून से संबंधित बहस को और गहराई में ले जाते हुए पितृसत्तात्मक मानसिकता तक ले जाना चाहिए क्योंकि अधिकतर महिलाओं को ही धर्म परिवर्तन के लिए मजूबर किया जाता है।
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