नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश की सीमाओं पर दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाने के बजाय हम आपस में लड़ रहे हैं। उन्होंने यहां ‘संघ शिक्षा वर्ग' (आरएसएस कैडर के लिए प्रशिक्षण शिविर) के विदाई समारोह में कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए देश के प्रत्येक नागरिक को प्रयास करना चाहिए।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत ने वैश्विक आर्थिक संकट और कोविड-19 महामारी के दौरान सभी देशों में से सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि भारत को इस साल जी-20 की अध्यक्षता मिली और ‘‘इस गौरव को महसूस किया जा सकता है।'' उन्होंने कहा कि हमारे समाज में धर्म और पंथ से जुड़े कई विवाद हैं।
उन्होंने कहा, ‘हम सीमा पर बैठे दुश्मनों को अपनी ताकत नहीं दिखा रहे हैं बल्कि हम आपस में लड़ रहे हैं। हम भूल रहे हैं कि हमारा देश एक है।' भागवत ने कहा, ‘भारत की एकता और अखंडता के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए। अगर कमियां हैं तो हमें उन पर काम करना चाहिए।'
उन्होंने कहा कि कुछ धर्म भारत के बाहर से आए थे और ‘हमारा उनके साथ युद्ध हुआ था।' उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन बाहरी चले गए। अब हर कोई देश का है। फिर भी यहां कुछ लोग बाहरी लोगों के प्रभाव में हैं और वे हमारे लोग हैं...इसे समझना होगा। अगर उनकी सोच में कोई कमी है तो उन्हें बदलना हमारी जिम्मेदारी है।'
आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘बाहरी लोग चले गए, लेकिन इस्लाम धर्म सदियों से यहां सुरक्षित है।' भागवत ने कहा कि कुछ लोग इस धारणा का समर्थन करते हैं कि भारत में पहले कोई जातिगत भेदभाव नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्हें स्वीकार करना होगा कि ‘हमारे देश में जाति व्यवस्था के आधार पर अन्याय हुआ है।' उन्होंने कहा, ‘हमारे पास अपने पूर्वजों का गौरव है, लेकिन हमें उनकी गलतियों का कर्ज भी चुकाना पड़ेगा।'
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