नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। केंद्रीय आवास एवं शहरी मामला और पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एक तरफ जहां हमने अपनी आर्थिक आकांक्षाओं को हासिल किया है वहीं दूसरी ओर पर्यावरण के प्रति दायित्वों को भी पूरा किया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय आवास और शहरी मामला मंत्रालय के शहरी मिशन जलवायु परिवर्तन के जरिये कार्बन उत्सर्जन को घटाने में पर्याप्त योगदान मिला है।
कम कार्बन वाले शहरों की योजना बनाना आवश्यक होगा
ऑनलाइन माध्यम से हुए विश्व पर्यावास दिवस के अवसर पर कार्बन उत्सर्जन और पर्यावरण को लेकर भी उन्होंने अपने विचार साझा किये। उन्होंने कहा कि आर्थिक आकांक्षाओं और पर्यावरणीय दायित्वों दोनों को साकार करना है। उन्होंने कहा कि भारत में एसडीजी लक्ष्यों विशेष रूप से लक्ष्य 11 और लक्ष्य 13 को हासिल करने के लिए कम कार्बन वाले शहरों की योजना बनाना आवश्यक होगा। उन्होंने कहा कि यदि एसडीजी में सफलता मिलती है तो यह भारत की सफलता की वजह से होगा। क्योंकि भारत के योगदान के बिना वैश्विक लक्ष्यों को हासिल करना संभव नहीं है।
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पुरी ने कार्यक्रम में शामिल विभिन्न संगठनों से नई और नवीनतम कम कार्बन वाली प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन देने का आह्वान करते हुए कहा कि जिनसे सभी के लिए घर, सभी के लिए सेवाओं की डिलिवरी, सभी को बेहतर परिवहन सुनिश्चित हो और टिकाऊ शहरी विकास में जनता को सबसे आगे रखा जा सके, इस तरह की तकनीक का उपयोग किया जाए। ताकि कार्बन मुक्त विश्व के लिए शहरी कार्रवाई में तेजी लाई जा सके। कार्यक्रम में मंत्रालय सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा, अतिरिक्त सचिव सुरेंद्र कुमार बागड़े, यूएन एजेंसियों, राज्यों और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
जलवायु परिवर्तन गरीब लोगों के लिए खतरा बढ़ाती है
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन मानव बस्तियों विशेष रूप से कमजोर और गरीब लोगों के लिए खतरा बढ़ाता है। ये लोग मौसमी घटनाओं के सबसे ज्यादा संपर्क में आते हैं। 2019 में भारत, जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला 7 वां देश रहा, जिसका सबसे ज्यादा असर उसके शहरों पर पड़ा। भारतीय शहरों के लिए आर्थिक और पर्यावरणीय आवश्यकताओं पर बोलते हुए पुरी ने कहा कि भारत का ग्रीनहाउस गैसों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अन्य विकसित देशों की तुलना में काफी कम है।
मंत्री ने कहा कि 1870-2017 के दौरान भारत का कुल सीओ2 उत्सर्जन काफी कम है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ 3 प्रतिशत है, जबकि इसकी तुलना में अमेरिका का 25 प्रतिशत, ईयू और यूके का 22 प्रतिशत व चीन का 13 प्रतिशत है। पुरी ने कहा कि आज की विषयवस्तु कार्बन मुक्त विश्व के लिए शहरी कार्रवाई में तेजी लाना न सिर्फ उपयुक्त है, बल्कि भारत के संदर्भ में यह उचित भी है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर शहरी स्तर पर भीड़ बढऩे से शहरों में ऊजाज़् की मांग बढ़ी है, जिसकी पहले से वैश्विक ऊजाज़् खपत में 78 प्रतिशत और ग्रीनहाउस गैस (सीएचजी) उत्सर्जन में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
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