नई दिल्ली/टीम डिजिटल। रहस्यों के साए में रह रहे कोरोना वायरस (Coronavirus) की एक कमजोरी भी है। उसे संक्रमित से स्वस्थ व्यक्ति में पहुंचने के लिए एक सरफेस की जरूरत होती है। वह हवा में या पानी में ट्रैवल नहीं कर सकता। न्यूयॉर्क टाइम्स की माने तो दुनियाभर के वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि लोगों को घरों के भीतर रहना चाहिए और संक्रमित लोगों को स्वस्थ लोगों से एकदम अलग रखकर इलाज किया जाना चाहिए। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कुछ तरीकों को अपनाने से वायरस का संक्रमण काफी हद तक रोका जा सकता है।
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वैज्ञानिकों को सुना जाना चाहिए कोरोना वायरस के मामले में आजकल लगातार नेता ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। नेताओं की बजाए हमें वैज्ञानिकों और एपिडेमियोलॉजिस्ट को सुनना चाहिए। वे आम लोगों को ज्यादा बेहतर ढंग से बता सकते हैं।
करोना पॉजिटिव के लिए आइसोलेशन जितनी जल्दी संभव हो सके कोरोना पॉजिटिव को आइसोलेट कर देना चाहिए। चीन में 75 से 80 प्रतिशत तक संक्रमण परिवार से परिवार के बीच ही फैला।
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सही ढंग से जांच हो जांच के लिए प्राथमिकता तय हो कि जो मरीज ज्यादा गंभीर हालत में हो उसकी जांच पहले हो और सही ढंग से हो ताकि इलाज शुरू हो सके।
बुखार की तुरंत जांच चूंकि चीन, ताइवान और वियतनाम पहले सार्स का कहर देख चुके हैं और साउथ कोरिया ने भी मर्स झेला है, वहां पर बुखार पर ध्यान देना आदत में आ चुका है। भारत में भी बुखार की तुरंत जांच होनी चाहिए।
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संक्रमित के संपर्क में आए लोगों की जानकारी जुटाना संक्रमित के संपर्क में आए लोगों की जानकारी जुटाना भी एक अहम कदम है। ऐसे हरेक व्यक्ति की जांच होनी चाहिए जो किसी भी कोरोना पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आया हो।
जरूरी सेवाएं रहें जारी महामारी के दौरान जरूरी सेवाएं जैसे खाना, पीना, बिजली, गैस, फोन लाइन और दवाइयों की दुकानें खुली रहनी चाहिए। सेना और दूसरी चीजें भी बेहद जरूरी हैं ताकि डर ना फैले।
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वेंटीलेटर और ऑक्सीजन अस्पतालों में मरीजों के लिए वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की कमी ना हो।अगर कोरोना के मरीज ज्यादा संख्या में आने लगें तो उन्हें संभालना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि यह बीमारी श्वसन तंत्र पर भी अटैक करती है।
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वालंटियर की तैनाती वालंटियर की तैनाती का कदम भी एमरजैंसी के दौरान काफी काम आ सकता है। चीन ने बीमारी पर जीत पाई क्योंकि वहां पर काफी सारे वालंटियर थी जो लोगों और खासकर हेल्थ वर्कर्स की मदद कर रहे थे।
अस्पतालों की व्यवस्था में बदलाव चीन में सरकार ने दो ही हफ्तों में दो नए अस्पताल तैयार करवाए। इनके अलावा बाकी सारे अस्पतालों को अलग-अलग काम मिले। जैसे कुछ का काम कोरोना के गंभीर रूप से संक्रमितों का इलाज था तो कुछ सिर्फ एमरजैंसी के लिए थे। भारत के अस्पतालों की व्यवस्था में भी ऐसा ही बदलाव होना चाहिए।
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