नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पश्चिम बंगाल (West Bengal) में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले राज्य में काफी सियासी उथल-पुथल हो रही है। इस बीच बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने दावा किया कि पूरे देश को राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में खून-खराबा और हिंसा होने की आशंका है। उन्होंने पुलिस और प्रशासन से निष्पक्षता बनाए रखने को कहा।
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राज्यपाल ने कहा ये राज्यपाल धनखड़ ने कहा कि यदि लोक सेवक राजनीतिक काम में शामिल हो जाएं तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था को बड़ा झटका होगा और कानून के शासन के लिए इससे बड़ी कोई चुनौती हो नहीं सकती है। धनखड़ ने पुरुलिया की यात्रा के दौरान संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'देश में सिर्फ एक चर्चा हो रही है, जिसमें आंशका जताई जा रही है कि पश्चिम बंगाल में चुनावों में खून-खराबा होगा और हिंसा होगी।'
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अप्रैल-मई में होंगे चुनाव राज्यपाल ने प्रशासन, पुलिस और मीडिया से भी हिंसा मुक्त विधानसभा चुनाव के लिए माहौल बनाने को कहा। यह चुनाव इस साल अप्रैल-मई में होने हैं। धनखड़ ने कहा कि अगर मतदाताओं को डराया जाता है और सरकारी अधिकारियों को राजनीतिक काम में शामिल किया जाता है तो यह चुनाव प्रक्रिया के लिए एक झटका होगा। उन्होंने सरकारी मशीनरी से तटस्थ रहने का आग्रह किया। साथ में यह सुनिश्चित करने को कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान लोग स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से अपने मताधिकार का उपयोग कर सकें।
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राज्यपाल ने लगाया ये आरोप राज्यपाल ने बुधवार को आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं हो पाएंगे और लोग बिना डर के अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से राज्यपाल को हटाने का आग्रह किया और दावा किया है कि वह असंवैधानिक तरीके से काम कर रहे हैं।
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TMC ने कहा था ये इससे पहले टीएमसी ने बुधवार को कहा था कि उसने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद से जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का रुख किया है। पार्टी ने आरोप लगाया कि धनखड़ सार्वजनिक रूप से राज्य के प्रशासन और सरकार के खिलाफ टिप्पणी कर 'संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन' कर रहे हैं।
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राष्ट्रपति से की कार्रवाई करने की मांग हालांकि, भाजपा का कहना है कि राज्यपाल संवैधानिक मापदंडों के तहत ही काम कर रहे हैं जबकि ‘तृणमूल कांग्रेस भयभीत’ है। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी सांसदों की टीम ने मंगलवार को राष्ट्रपति को पत्र भेजा जिसमें धनखड़ द्वारा हाल में ऐसे कथित उल्लंघनों की सूची दी गई है और संविधान के अनुच्छेद-156 (1) के तहत कार्रवाई करने की मांग की गई है।
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विधानसभा के स्पीकर के आचरण पर की टिप्पणी रॉय ने कहा, 'संविधान के अनुच्छेद-156 की धारा 1 के तहत राष्ट्रपति की इच्छा तक राज्यपाल पद पर आसीन होता है। हम राष्ट्रपति से मांग करते हैं कि इस इच्छा को वापस ले जिसका अभिप्राय है कि वह इन राज्यपाल को हटाएं।' उन्होंने कहा, 'हमने देखा है कि पिछले साल जुलाई में जब से वह राज्य में आए हैं वह नियमित रूप से ट्वीट कर रहे हैं, संवाददाता सम्मेलन कर रहे हैं और टेलीविजन चैनलों की चर्चाओं में शामिल हो रहे हैं जहां पर वह नियमित रूप से राज्य सरकार के कामकाज, हमारे अधिकारियों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री पर टिप्पणी कर रहे हैं। यहां तक एक बार उन्होंने विधानसभा के स्पीकर के आचरण पर टिप्पणी की। उनका ऐसा प्रत्येक कदम उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।'
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