नई दिल्ली/प्रियंका। कोरोना वायरस (Corona Virus) से लड़ने के लिए दुनियाभर के देश एकसाथ आ गए है। हर देश अपने स्तर पर कोरोना से लड़ाई लड़ रहा है, इसी बीच ब्रिटिश सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने कोरोना वायरस यानी COVID-19 से निपटने के लिये हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) का नाम सुझाया है।
क्या है हर्ड इम्युनिटी हर्ड इम्युनिटी एक प्रोसेस या एक प्रकिया है जिसे अपना कर किसी समाज या समूह में रोग के फैलने की शृंखला को तोड़ा जा सकता है और इस प्रकार रोग को उन लोगों तक पहुँचाने से रोका जा सकता है, जिन्हें इससे सबसे अधिक खतरा हो या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) कमजोर है। इसे सरल भाषा में ऐसे समझा जा सकता है कि यह एक ऐसा प्रयोग है जिसका इम्यून सिस्टम बेहद स्ट्रोंग होगा और ये प्रयोग कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को संक्रमित होने से बचाएगा।
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ये कैसे काम करेगा... इस प्रकिया के लिए सबसे पहले किसी संक्रामक बीमारी के फैलने के तरीके और उसके लिये जरुरी हर्ड इम्युनिटी की लिमिट का पता लगाना जरुरी है। इस लिमिट को जानने के लिए महामारी वैज्ञानिक (Epidemiologists) मापदंड यानी स्टैंडर्ड का इस्तेमाल करते है, जिसे ‘मूल प्रजनन क्षमता’ (Basic Reproductive Number-R0) कहा जाता है। यह बताता है कि किसी एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर और कितने लोग संक्रमित हो सकते हैं। इन स्टैंडर्ड के आधार पर ही इसके प्रयोग को आगे बढ़ाया जा सकता है।
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इसे ऐसे समझें... -1 से अधिक R0 होने का मतलब है कि एक व्यक्ति कई अन्य व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है। - विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस का R0 2 से 3 के बीच हो सकता है। -वैज्ञानिकों के अनुसार, खसरे (Measles) से पीड़ित एक व्यक्ति 12-18 अन्य व्यक्तियों को जबकि इन्फ्लूएंजा (Influenza) से पीड़ित व्यक्ति लगभग 1-4 व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है।
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कोरोना से कैसे लड़ेगा हर्ड इम्युनिटी कोरोना से संक्रमित होने वाले मामलों में ज्यादातर मामले कमजोर इम्यून सिस्टम वाले है। साथ ही इसमें वो लोग भी शामिल हैं जो हार्ट पेशेंट हैं या बीपी की मरीज हैं। ऐसे में हर्ड इम्युनिटी को इस्तेमाल करने में बहुत अधिक समय लग सकता है। वहीँ, अगर एक बार संक्रमित होने वाला व्यक्ति दोबारा संक्रमित होता है तो उसके बचने का अनुमान कम हो जाता है।
जानकारों का कहना है कि इस प्रोसेस में उन्हीं लोगों को शामिल किया जा सकता है जिनके अंदर इम्युनिटी का निरंतर विकास हो सकता है। वैसे अभी तक कोरोना/COVID-19 के संदर्भ में इस प्रक्रिया की सफलता के कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं और न ही यह सुनिश्चित किया जा सका है कि एक बार ठीक होने के बाद कोई व्यक्ति दोबारा इससे संक्रमित नहीं होगा।
सबसे बड़ी बात यह है कि इस खतरनाक कोरोना वायरस से लड़ने की चुनौती के बीच अगर हर्ड इम्युनिटी को अपनाने का दबाव वैज्ञानिकों पर आता है तो ये सही काम कर सकेगा, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
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