नई दिल्ली/कुमार आलोक भास्कर। अक्सर कहा जाता है कि चीन (China) पर भरोसा भारत आंख मूंदकर नहीं करता है। तो इसकी वजह कहीं न कहीं 62 का युद्ध है जब भारत को दोस्ती के बदले धोखा मिला था। इसलिये हाल ही में जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के सीमाई विवाद को खत्म करने के लिये पीछे हटने पर सहमति बनी,तो भारत ने फूंक-फूंक कर कदम बढ़ाना उचित समझा। यहां तक कि LAC पर डेढ़ किमी दोनों देशों के पीछे हटने पर भी एक राय कायम हुई। लेकिन चीन है कि मानता नहीं।
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आदतन चीन ने एक तरफ भारत के साथ पीछे हटने की सहमति बनाई तो दूसरी तरफ अपने सेना को मोर्चा पर ही डटा रखा। हालांकि भारत को धूल झोंकने के लिये कुछ सेना को पीछे भी हटाया। लेकिन भारत को चीन की चाल को समझने में देरी नहीं लगी। लेकिन यह सहमति भी इसलिये बनी जब भारत ने चीनी सेना को मुंहतोड़ जवाब देने के लिये उसी के भाषा में यानी आक्रामकता से दिया। इतना ही नहीं जब चीन ने सेना की तैनाती बढ़ाई तो भारत ने भी बोफोर्स तोप को तैनात करके मंशा साफ कर दिया।
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बता दें कि पू्र्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच आपसी झड़प इस कदर बढ़ गई है कि तकरीबन 45 साल बाद दोनों तरफ के सेना को क्षति पहुंची है। गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच संघर्ष इतना आगे बढ़ गया कि भारत के 1 अफसर और 2 जवान शहीद हुए है। हालांकि चीनी सेना भी इस हिंसक झड़प में मारे गए है। इस क्षेत्र की अहमियत कितनी है कि इसका अंदाजा इससे होता है कि यह वहीं पैंगोग सो क्षेत्र हैं जहां से चीन ने 1962 में भारत पर हमला बोला था।
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सवाल उठता है कि भारत और चीन के बीच सीमाई विवाद इतना क्यों गहरा गया कि तकरीबन 45 साल बाद हिंसक झड़पें हुई और दोनों देशों को नुकसान उठाने पड़े? बता दें कि यह विवाद तब पैदा हुआ जब भारत LAC के नजदीक बॉर्डर पर सड़क निर्माण में जुटी हुई थी तभी चीनी सैनिकों ने आपत्ति जताते हुए तनाव पैदा करने की कोशिश की। हालांकि भारत अपने सीमा के भीतर सड़क निर्माण कर रही थी,तब भी चीन ने LAC को पार करके इस पर सवाल उठाये।
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दरअसल भारत दरबुक-श्योक गांव - दौलत बेग ओल्डी सड़क (डीएस-डीबीओ सड़क) श्योक नदी के बराबर सड़क बना रही है। यह सड़क सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) बना रही है। जो डीबीओ को डरबुक और थेंस से जोड़ेगी फिर लेह से सीधे संपर्क स्थापित हो जाएगा। इसके लिये बीआरओ पहाड़ की दीवारों को काटकर सड़क बना रही है जो सभी मौसम में आवाजाही के लिये सही रहेगी।
बता दें कि गलवान नदी पूर्वी लद्दाख क्षेत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है जहां भारतीय सेना ने अपनी चौकियां स्थापित की है।जो चीन को कांटे की तरह चुभता है। लेकिन यह सभी चौकियां चीन के तरफ से घिरे रहने के कारण भारत को हैलीकॉप्टर के माध्यम से सामानों को सैनिको तक पहुंचाना पड़ता था। भारत इसी DBO यानी दौलत बेग ओल्डी सेक्टर पर मजबूती से जमी हुई है।
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लेकिन इस विवाद की शुरुआत 5 मई को ही हो गई थी जब भारत और चीन की सेना आमने-सामने तन गए। दोनों देशों के बीच यह झड़प पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो क्षेत्र में हुआ था। यहां यह बताना जरुरी है कि इससे पहले 1975 में असम राइफल्स के चार जवान उस समय शहीद हो गए जब अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में पेट्रोलिंग कर रहे थे। लेकिन इसके बाद सीमा पर तनाव होते रहे लेकिन किसी सेना की जान नहीं गई। भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी LAC पर विवाद कोई नई बात नहीं है।
भारतीय सेना से सीमा पर झड़प में चीन के 5 सैनिक भी हुए ढेर
फिलहाल जानकारी के अनुसार चीनी सेना LAC के काफी करीब पहुंच चुकी है। जो झड़प का मुख्य बिंदु बना है। चीनी सेना पेट्रोलिंग पॉइंट 14, 15 और 16 के करीब पहुंची है। जिसका मुकाबला के लिये भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। हालांकि दोनों देशों के बीच बातचीत खत्म करने के लिये 8 बार बैठकें भी हुई है। लेकिन अब कोई ठोस पहल किये बिना इस विवाद का खत्म होता नहीं दिख रहा है। दोनों देशों के बीच श्योक नदी और गलवान नदी के बीच विवाद कई दशकों से होता आया है।
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दूसरी तरफ चीनी सेना गलवान गाठी के मध्य हिस्से तक पक्की सड़क बना लिया है। जो LAC के काफी करीब है और भारतीय सीमा में अतिक्रमण के ताक में जुटी रहती है। चीन ने तो इस क्षेत्र में कई छोटी-छोटी चौकिंया भी स्थापित कर ली है। वहीं गलवान नदी क्षेत्र में भारतीय सेना के कब्जे में पैट्रोल पॉइंट 14 (PP14) के पास ही चीनी सेना के दखल देने से विवाद पैदा हुआ। दरअसल इस क्षेत्र में LAC श्योक नदी के साथ-साथ काफी करीब चलती है। दूसरी तरफ श्योक और गलवान नदी का संगम स्थल LAC से काफी करीब है। तो वहीं श्योक नदी के एक तरफ भारतीय सेना ने सड़क निर्माण कर रखा है। इसलिये यह क्षेत्र काफी संवेदनशील माना जाता है। भारत हर हाल में इसी श्योक नदीं के साथ-साथ जो DS-DBO सड़क बना रही हैं वहां से एक और फीडर सड़क बना रही है जो सीधे PP-14 तक जाती है। अब देखना दिलचस्प हो गया है कि भारत और चीन इस विवाद को कैसे खत्म करेगी?
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