नई दिल्ली/टीम डिजीटल। किसान आंदोलन के दौरान शामिल वह तमाम संगठन जो आंदोलन समाप्ति के बाद पंजाब चुनावों में राजनीति की राह चल दिए थे, संयुक्त किसान मोर्चा ने उनके लिए अपने दरवाजे फिलहाल बंद ही रखे हैं। रविवार को गाजियाबाद में हुई संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय बैठक में किसान नेताओं ने साफ किया कि चुनाव लडऩे वाले संगठन जब तक राजनीति को छोड़ सामाजिक संगठन के तौर पर सक्रिय नहीं होंगे। उन्हें संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा। रविवार को हुई इस बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा की आगामी रणनीति को लेकर तमाम निर्णय लिए गए और उनकी घोषणा हुईं।
राजेवाल और चढूनी जैसे नेताओं से, फिलहाल दूर रहेगा किसान मोर्चा आंदोलन के बाद पंजाब के विधान सभा चुनावों में संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा रहे संगठनों ने भी अपनी किस्मत आजमाई थी। जिसमें बलवीर सिंह राजेवाल और गुरूनाम सिंह चढूनी जैसे बड़े किसान नेता भी शामिल थे। संयुक्त किसान मोर्चा की कमेटी के सदस्य योगेन्द्र यादव ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा में कुल 22 संगठन शामिल थे। जिसमें 6 संगठन राजनीति की राह पर चले गए। इन संगठनों को एसकेएम से बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा कि अगर राजनीति छोडक़र यह संगठन फिर से आंदोलन के साथ जुडऩा चाहेंगे तो वह संयुक्त किसान मोर्चा जरूर उनका स्वागत करेगा। उन्होंने सरदार वीएम सिंह के भी दोबारा संयुक्त किसान मोर्चा से जुडऩे की संभावनाओं को भी नहीं नकारा।
एमएसपी कमेटी को लेकर सरकार रूख स्पष्ट नहीं एमएसपी कानून को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य डॉ दर्शनपाल ने कहा कि कानून को लेकर जिस कमेटी का गठन होना है। उसे लेकर सरकार की रूख स्पष्ट ही नहीं है। कमेटी के लिए एसकेएम अपने प्रतिनिधि तभी चुनेगी , जब सरकार अपना रूख तय कर ले। फिलहाल सरकार ने ही इस मसले को अधर में लटका रखा है।
संसद के मॉनसून सत्र के साथ ही सक्रिय होगा किसान मोर्चा संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य अशोक धावले ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इस वर्ष के मानसून सत्र के साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा फिर से सक्रिय होगा। लेकिन इस बार केवल किसानों के नहीं बल्कि अग्निवीर जैसी योजनाओं, तीस्ता सीतलवाड और मोहम्मद जुबैर जैसे लोंगों की गिरफ्तारी और किसान आंदोलन से जुड़े किसान नेता आशीष मित्तल के खिलाफ यूपी सरकार द्वारा मुकद्दमा किए जाने जैसे मामलों को लेकर भी सरकार का विरोध होगा। इसके साथ ही लखीमपुर खीरी मामले में न्याय की मांग को लेकर भी किसान विरोध का मोर्चा खोलेंगे।
18 जुलाई से शुरू होगा विरोध का सिलसिला संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि 18 जुलाई से तीन चरणों में अलग-अलग विषयों पर प्रदर्शन किए जाएंगे। सबसे पहले मानसून सत्र की शुरूआत के साथ 18 जुलाई से 30 जुलाई तक पूरे देश में हर जिले में किसान सम्मेलन आयोजित कर सरकार का विरोध किया जाएगा। 31 जुलाई को सुबह 11 बजे से 3 बजे तक हर जिले में चक्का जाम किया जाएगा। इसके बाद 7 अगस्त से 14 अगस्त तक अग्निपथ योजना के विरोध में हर जिले में जय जवान-जय किसान सम्मेलन आयोजित होगा। इन सम्मेलनों में किसान, युवा और सेना से सेवानिवृत्त लोगों को शामिल किया जाएगा। इसके बाद 18 से 20 अगस्त तक 75 घंटों के लिए लखीमपुर ख्रीरी में हुई घटना के विरोध, गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी व बर्खास्तगी की मांग को लेकर लखीमपुर खीरी का घेराव किया जाएगा।
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