नई दिल्ली/कुमार आलोक भास्कर। जब मैं दिल्ली दंगे (Delhi Riots) के ठीक एक सप्ताह बाद सोमवार शाम को शहर के आकर्षक सिग्नेचर ब्रिज क्रॉस करके दंगा प्रभावित इलाके में पहुंचा तो जो मंजर था वो चौंकाने वाला था। आज दिल्ली को दो हिस्सों में बांटकर देखा जा सकता है। एक तरफ यमुना के इस पार आपको शहर में दैनिक गतिविधि पटरियों पर दौड़ते हुए दिख जाती है। रिंग रोड पर गाड़ियों की लंबी कतार और भागते-दौड़ते लोगों का अपने बिजनेस या नौकरी पर जाना सामान्य रुटीन है। लेकिन यमुना के उस पार लगता ही नहीं है कि यह भी उसी दिल्ली का हिस्सा है जहां अभी हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) आए थे। उस समय दिल्ली में इतना सख्त पहरा था कि उन तक भी दिल्ली में उठा धुंआ नहीं पहुंच पाया। ताकि वो पूछ सकें कि पीएम नरेंद्र मोदी से यह शहर धुंआ-धुंआ क्यों है?
क्या दिल्ली दंगाईयों का शहर है... चारों तरफ यहां जहर ही जहर है?
शहर का धुंआ भी अमेरिकी राष्ट्रपति तक नहीं पहुंच पाया लेकिन अगर यह धुंआ भी ट्रंप तक पहुंच जाता तो निश्चित रुप से हमारे मजबूत पीएम नरेंद्र मोदी उन्हें करारा जवाब देने में सक्षम थे। अब यह बात सिर्फ भारत हीं नहीं पूरा विश्व जानता है। खैर, वैसे इस दिल्ली में ही देश के महामहिम राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री संसद सदस्य, दिल्ली सरकार पूरे दल-बल के साथ रहते है। हालांकि यह सच है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे के कारण ही दिल्ली के आसमान से लेकर जमीन तक सख्त सुरक्षा तैयारी थी, खासकरके लुटियन जोन्स में परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। इसका मतलब यह नहीं है कि आम दिनों में दिल्ली की सुरक्षा कथित चुस्त-दुरुस्त नहीं रहती है। लेकिन दंगे को देखकर भी दिल्ली पुलिस का दिल नहीं पसीजा यह सवालों के घेरे में है।
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दिल्ली में 3 दिन तक दंगा का नंगा नाच जब सिग्नेचर ब्रिज पार करके यमुना के उस पार पहुंचा जहां 3 दिन तक दंगाइयों ने मानवता को भी शर्मसार कर दिया, उसके सबूत देखे जा सकते हैं। शायद लंबे काल तक दिल्ली के कपाल पर लगी यह दाग नहीं मिट सकती है। वैसे दिल्ली कई बार पहले भी दागदार रही है। चारों तरफ पसरा सन्नाटा वो भी बीचों-बीच शहर से गुजरती रिंग रोड जहां हमेशा ही शाम के समय जाम लगी रहती है। उस रिंग रोड पर इक्का-दुक्का दौड़ती गाड़ियां सहम-सहम कर चलने को मजबूर है। किसी को पता नहीं है कि कब इसी रिंग रोड पर दंगाइयों का एक समूह आ जाए और उन्हें गाड़ी से खींचकर ही मरने-मारने पर उतारु हो जाए।
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पसरा है सन्नाटा तो कहीं खुली हैं दुकानें हालांकि रिंग रोड के दोनों तरफ कुछेक दुकानों के शटर खुले हुए हैं। लेकिन इसे महज औपचारिकता ही कहा जा सकता है। इसी रोड पर एक तरफ चांदबाग है तो दूसरी तरफ खजूरी, भजनपुरा है। दोनों तरफ के दुकानों पर लगी स्याह रात के अंधेरे में भी उतने ही गहरे जख्म की याद ताजा कराता है। आगे एक तरफ पेट्रोल पंप को आग के हवाले कर दिया गया है तो रास्त पर ही मजार को पहुंचे नुकसान को स्पष्टतः देखा जा सकता है। तो वहीं बहुमंजिली इमारतों को जिस तरह से नुकसान पहुंचा है वो एक अलग कहानी बयां करती है।
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पुलिस का है सख्त पहरा तभी लगातार पुलिस का मार्च और जत्था दुकानदारों और वाशिंदों को यह भरोसा दिलाता है कि आप सुरक्षित है। इस नफरत की आग को 8 किमी तक L Shape में देखा जा सकता है। जो खजूरी,भजनपुरा से शुरु होकर जाफराबाद तक पहुंचती है। इस बीच के सभी कॉलोनियों के भीतर तक नफरत-नफरत-नफरत... के डरावने सबूत फैले हुए हैं।
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हिंसा के शिकार हिंदू और मुस्लिम दोनों हुए आगे जब हम बढ़ते हैं तो रोड के एक तरफ कर्दमपुरी है तो दूसरी तरफ यमुना विहार के C Block है। यहां पर एक दिल्ली बीजेपी नेता मुकेश गोयल का पहला घर जिस पर लगभग 300 राउंड गोलियां चली ऐसे जैसे दिवाली की धूम मची हुई हो। उनके घर के ठीक सामने मौजूद पार्किंग में खड़ी 5 कार बुरी तरह झुलसी हुई है। ऐसा नहीं है कि किसी हिंदू के घर को ही नुकसान पहुंचा हो, बल्कि ऐसे अनेक मुस्लिम परिवार और घर है जिसका चिराग भी अब नहीं बचा है।
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जब मैंने मुकेश गोयल से जानना चाहा कि भीड़ में मौजूद किसी चेहरे को आप बेनकाब कर सकते है तो उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी को पहचाना ही नहीं कारण कोई लोग उस भीड़ में स्थानीय नहीं थी। उनका यह बयान आपके माथे पर शिकन ला सकता है। तो फिर इस दंगे को किसने अंजाम दिया? क्या यह किसी सुनियोजित प्लान का हिस्सा रहा। यह जांच का विषय है।
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दिल्ली पुलिस की भूमिका रही संदिग्ध लेकिन दिल्ली पुलिस तो इस तरह मूकदर्शक रही जैसे वो तो पूरी घटना से अनजान है। यहां तक कि अनेक लोगों ने यह बताया कि खबर करने पर भी जब पुलिस पहुंची तो उग्र भीड़ को देखते ही भाग खड़ा होना ज्यादा मुनासिब समझा। दिल्ली पुलिस की 100 नंबर की पूरी तरह पोल खुल चुकी है। जिस पर फोन करते- करते लोग परेशान ही रहे। वो कौन-सी मजबूरी रही जिस कारण दिल्ली पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठे रही- इस पर फिर कभी चर्चा करेंगे।
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