नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पूरी दुनिया में कहर ढ़ाह रहे कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के उत्पत्ति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की टीम लंबे समय से वुहान में जांच कर रही है। डब्ल्यूएचओ ने ठोस सबूत मिलने से फिलहाल इंकार किया है। वहीं अमेरिकी मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक डब्ल्यूएचओ की जांच दल को वुहान से दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस के व्यापक तौर पर फैलने के शुरुआती संकेत मिल गए हैं। अमेरिका मीडिया ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के जांचकर्ता जो चीन में कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में पता लगाने में जुटे हैं उन्हें दिसंबर 2019 में वुहान से ही कोरोना वायरस के सबसे अधिक फैलने के संकेत मिले हैं।
डब्ल्यूएचओ मिशन के प्रमुख अन्वेषक, पीटर बेन एम्ब्रेक ने बताया कि डब्ल्यूएचओ को दिसंबर 2019 में वुहान से कोरोना के फैलने के कई संकेत मिले हैं। जब दुनिया में पहली बार कोरोना का मामला सामने आया। डब्ल्यूएचओ मिशन के प्रमुख अन्वेषक, पीटर बेन एम्ब्रेक जो अभी वुहान से स्विटजरलैंड लौटे उन्होंने सीएनएन को बताया कि कोरोना वायरस दिसंबर में वुहान में व्यापक रूप से फैल चुका था, ये एक नई जानकारी है।
दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला आया था सामने हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम ने वहां के लैब की भी जांच की। इस जांंच के बाद एक विशेषज्ञ ने कहा कि चीन की एक प्रयोगशाला से कोरोना वायरस के फैलने की संभावना नहीं है। इसने किसी जंतु के जरिए मानव शरीर में प्रवेश किया होगा। पीटर बेन ने वायरस को लेकर कहा ये डब्ल्यूएचओ के खाद्य सुरक्षा एवं जंतु रोग विशेषज्ञ पीटर बेन एम्बारेक ने मध्य चीन के शहर वुहान में कोरोना वायरस के संभावित तौर पर उत्पन्न होने के विषय की वैज्ञानिकों की टीम द्वारा की गई जांच के संपन्न होने पर एक आकलन में यह कहा।
गौरतलब है कि विश्व में वुहान में ही दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामना आया था। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी ने वायरस के व्यापक स्तर पर नमूने एकत्र किए थे, जिसके चलते ये अप्रामाणित आरोप लगाये गये थे कि वायरस वहीं से आसपास के वातावरण में फैला होगा।
चीन ने किया खारिज हालांकि, चीन ने इस संभावना को सिरे से खारिज कर दिया था और इन सिद्धांतों का प्रचार किया था कि वायरस कहीं और उत्पन्न हुआ होगा। एम्बारेक ने कहा, 'जांच के हमारे शुरुआती नतीजों में यह पता चला है कि किसी रोगाणु वाहक प्रजाति (जंतु) के माध्यम से इस (वायरस) ने मानव शरीर में प्रवेश किया होगा तथा इस पर और अधिक लक्षित अध्ययन किये जाने की जरूरत है।' उन्होंने कहा, 'हालांकि, नतीजों से पता चलता है कि प्रयोगशाला की घटनाओं को मानव आबादी में वायरस के फैलने के लिए जिम्मेदार ठहराने की संभावना बहुत कम है।
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