Tuesday, May 30, 2023
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क्या सुशांत को आत्महत्या करने से बचाया जा सकता था? आखिर क्यों डिप्रेशन बन जाता है मौत की वजह...

  • Updated on 6/15/2020

नई दिल्ली/प्रियंका। सुशांत सिंह राजपूत का अचानक चले जाना लोगों के लिए पहेली बन कर रहा गया है। किसी ने सोचा भी नहीं था कि केवल 34 साल की उम्र में एक उभरता कलाकार आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है। सुशांत की मौत ने सोशल मिडिया पर सुसाइड, डिप्रेशन, मेंटल हेल्थ को लेकर बड़ी बहस छेड़ दी है। लोग अपने किस्से, आप-बीती और दूसरों को मशवरे दे रहे हैं। 

लेकिन क्या वाकई किसी व्यक्ति को सुसाइड करने से बचाया जा सकता है? क्या डिप्रेशन से लोगों को बातचीत कर उबारा जा सकता है? आखिर क्या कारण हैं जो लोग डिप्रेशन में आने के बाद सुसाइड करने की सोचते हैं? आइये इस पर नज़र डालते हैं।

नाकामी का डर 
आत्महत्या के अधिकतर मामलों में लोगों को नाकामी के डर से भागता हुआ देखा गया है। ये नाकामी सिर्फ सफलता की ही नहीं बल्कि कई तरह से हो सकती है। लोग प्रेम में नाकाम होते हैं, योजनाओं में असफल होते हैं। कई बार बुरे मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाते और कई बार कुछ न कर पाने की नाकामी भी उन्हें आत्महत्या की ओर अग्रसर करती है। 

क्या है मुख्य वजह!
ये बात सही है कि लोग नाकाम होने के बाद मानसिक तनाव में आ जाते हैं। यही मानसिक तनाव डिप्रेशन का कारण होता है लेकिन ये भी सच है कि हममें से अधिकतर लोग डिप्रेशन के शिकार हैं लेकिन सभी आत्महत्या के लिए नहीं सोचते। आत्महत्या के लिए लगातार उकसाने के लिए मन की दो धारणाएं, जिनमें व्यक्ति हर समस्या के लिए खुद को दोषी मानता है और दूसरी धारणा में वो ये सोचता है कि अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा, लोग क्या कहेंगे, जैसे सवाल व्यक्ति पर हावी रहते हैं। कुछ लोग किसी बात को लेकर भारी ग्लानि में होते हैं, उन्हें उस ग्लानि को कहने में और सच बताने से ज्यादा आसान तरीका आत्महत्या नज़र आता है। इस तरह के कई मामले देखे गए हैं। 

अफसोस होना भी कारण 
अगर कुछ नामचीन लोगों की आत्महत्या के पैटर्न को देखें तो ये समझा जा सकता है कि आत्महत्या के लिए उनके पास वो वजह थीं, जिसका उन्हें अफ़सोस था, उन वजहों के बारे में वो किसी को कुछ बता नहीं सकते थे और ये वजहें ऐसी थीं कि उनके सामने आने से उनका स्टेटस दागदार हो जाता। अपनी इन उलझनों में उलझे हुए लोगों में फेमस दिव्या भारती, गुरुदत्त, जिया खान, परवीन बॉबी और कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ जैसे कई नाम शामिल हैं।

क्या हो सकता है हल?
मानसिक तनाव, डिप्रेशन ये हर सामान्य व्यक्ति में होना आम बात है लेकिन जब इस मानसिक अवस्था में आत्महत्या जैसे ख्याल आने लगे तब व्यक्ति को इस बारे में डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। हालांकि हमारे समाज और परिवेश में व्यक्ति की मानसिक अवस्थाओं के बारे में बात करने पर उसे पागल कहा जाता है जो बिल्कुल गलत है। जैसे हम स्वास्थ्य समस्याओं पर डॉक्टर की राय लेते हैं वैसे ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी डॉक्टर का मशवरा लेना सामान्य बात ही है। इसके लिए साइकोलोजिस्ट की सलाह ली जा सकती है या अपनों के बीच अपनी कंडीशन के बारे में खुल कर बात की जा सकती है।

क्या कर सकते हैं...
हम मानते हैं कि डिप्रेशन में व्यक्ति को अकेले रहना ठीक लगता है लेकिन इस बात को व्यक्ति के आसपास के लोगों समझना होगा। डिप्रेस्ड व्यक्ति के दोस्तों, जानकारों और साथी लोगों को उसे मेंटल सपोर्ट करना बेहद जरुरी है। इस बात का ध्यान रखना होगा कि डिप्रेशन वाले लोगों में कुछ अलग नहीं होता बस उन्हें मेंटली मोटिवेशन की जरूरत होती है। उनके साथ रहना, उनकी हरकतों पर ध्यान देना, सोने और खाने के पैटर्न में बदलाव देखना, सोशल मिडिया पर उनके पोस्टों से अंदाजा लगाना जैसी बातों पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें एक्स्ट्रा केयर और उनके आसपास रह कर इस डिप्रेशन के फेस से उन्हें निकाला जा सकता है। 

साथ रहना सम्भव नहीं लेकिन
हर कोई हर वक्त साथ नहीं दे सकता लेकिन साथ होना दर्शाया जा सकता है। ये वक़्त इतना कठिन है कि इस समय में दुनिया को ढेर सारा प्यार चाहिए। किसी को सुन लेना, किसी को फोन कर हाल-चाल पूछ लेना, इस समय में सबसे खूबसूरत काम हो सकता है। लोग मन से बोझिल हो कर दुनिया से चले जाने की बात करते हैं ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपने आस-पास के मन से दुखी, परेशान, बोझिल हुए लोगों का थोड़ा सा गम बांट लें, शायद किसी की जिंदगी बच जाए।

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