नई दिल्ली/प्रियंका। देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर हर दिन बढ़ रहा है इस खतरनाक वायरस से अबतक लगभग 1400 लोग संक्रमित हो चुके हैं वहीं इससे मरने वालों की संख्या 41 हो गई है जबकि 101 लोग ठीक भी हुए हैं।
लेकिन अब सवाल यह है कि पहले भारत में मामले कम थे और अब अचानक ये मामले रुकने का नाम क्यों नहीं ले रहे? 29 फरवरी को भारत में कोरोना के 3 मामले थे और आज ये मामले बढ़ कर 1400 तक पहुंच चुके हैं। सोमवार को 227 नए मामले सामने आए। ये 24 घंटे के भीतर सामने आए सबसे ज्यादा मामले थे।
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इन राज्यों में हालात खराब भारत में सबसे ज्यादा हालत महाराष्ट्र की खराब है। महाराष्ट्र में अब तक 230 मामले सामने आ चुके हैं। इसके बाद केरल में 234, कर्नाटक में 98, दिल्ली में 97, उत्तर प्रदेश में 96, राजस्थान में 83, तेलंगाना में 77, गुजरात में 73, केस सामने आए हैं। बताया जाता है कि इन सभी राज्यों से सामने आए मामलों में एक बात कॉमन थी कि यहां पहला मामला किसी बाहरी के संपर्क में आने से या बाहरी व्यक्ति में पाया गया था।
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राज्यवार हालत बिगड़ी जानकारों की माने तो जिन राज्यों में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले सामने आए हैं उनमें अधिकतर वहीं लोग संक्रमित पाए गये जो विदेश यात्रा से लौटे थे या उनके संपर्क में कोई विदेशी व्यक्ति रहा था। डॉक्टर भी मानते हैं कि यह कंडीशन बाहरी लोगों के राज्यों में आने-जाने से बढ़ी है। जबकि जानकर ये भी कहते हैं कि बाहर से आने वालों को भी पहचाना जा सकता था अगर उनकी जाँच की गई होती। दरअसल, भारत में कोरोना वायरस की ज्यादा जांच नहीं हो पा रही है, जिसके चलते कोरोना वायरस के सटीक आंकड़े सामने नहीं आ पा रहे हैं।
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आईसीएमआर भारत में कोरोना वायरस की जांच के लिए सिर्फ 111 सरकारी लैब हैं। लेकिन हालातों को बिगड़ता देख सरकार ने अब निजी लैब को भी कोरोना की जांच की इजाजत दे दी है। हालांकि इस बारे में लोग अभी ज्यादा जागरूक नहीं है और राज्यवार इन लैब्स की संख्या काफी कम है।
दूसरा इसका बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि सरकार द्वारा लोगों तक सही जानकारी नहीं पहुंचाई जा रही है। अभी भी मुंबई, दिल्ली जैसे शहरों की घनी आबादी में लोग लॉकडाउन की परवाह किए बिना ही घूम रहे हैं। लोगों को इस मामले की गंभीरता का अंदाजा ही नहीं है।
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केरल में ज्यादा, यूपी में कम हुए टेस्ट एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, केरल में देश की केवल तीन प्रतिशत जनसंख्या रहती है लेकिन यहां कोरोना वायरस के लिए लगभग 7,000 टेस्ट हो चुके हैं। जबकि उत्तर प्रदेश जहां देश की सबसे ज्यादा जनसंख्या रहती है मगर वहां केवल 2,824 नमूनों की जांच हुई। रिपोर्ट में जारी डेटा से पता चलता है कि ज्यादा आबादी वाले राज्यों जैसे कि बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, मध्यप्रदेश और ओडिशा में केरल की तुलना में कोरोना वायरस के कम परीक्षण हुए हैं।
केरल के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि 3,480,00 वाली जनसंख्या वाले राज्य में सबसे अधिक टेस्ट हुए जिसके कारण यहां सबसे ज्यादा मामले सामने आए।
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क्या कहते हैं जानकर भारत में कोरोना वायरस का पहला केस 30 जनवरी 2020 को रिपोर्ट हुआ। पहले केस से 100 केस होने में 45 दिन लगे। लेकिन अब लगभग हर पांच दिन में कोरोना संक्रमण के केस दोगुने हो रहे हैं। इस बारे में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के आंकड़े की माने तो जब भारत में 16 हजार 109 लोगों के कोरोना की जांच हुई, तब 341 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे।
इसी तरह से बाकी देशों में भी जब हजारों की संख्या में टेस्ट किए गये तब सैंकड़ों की संख्या में कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए। इस हिसाब से तो यह बात तो साफ हो जाती है कि भारत में कोरोना वायरस की जांच की संख्या बढ़ने के साथ पॉजिटिव मामलों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
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ज्यादा टेस्ट ज्यादा मामले तो मान लें कि यही सीधा सा कारण है कि भारत में टेस्ट कम किए जा रहे हैं, जहां, जिस राज्य में ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं वहां उतनी ही तेजी से कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं और इसके ठीक विपरीत जहां कम टेस्ट हो रहे हैं वहां कम केस सामने आए हैं।
इसका मतलब यह है कि देश को अब डरना चाहिए, क्योंकि यह बहुत पॉसिबल है कि आने वाले समय में भारत में कोरोना के मामले बड़ी संख्या में सामने आ सकते हैं! क्या भारत बड़ी मुसीबत में हैं क्योंकि उसके पास कोरोना टेस्ट करने के पर्याप्त साधन भी नहीं है! क्या वाकई भारत कोरोना वायरस की तीसरी स्टेज में पहुंच चुका है!
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