Tuesday, Oct 03, 2023
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why delhi witnessed six earthquakes in last two months KMBSNT

जानिए बीते दो महीने में दिल्ली में क्यों आए 6 भूकंप?

  • Updated on 6/1/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। बीते दो महीनों में दिल्ली की जमीन 6 बार हिली है। कोरोना के महासंट से जूझ रहे दिल्लीवालों के मन में अब लगातार आते इन भूकंप (earthquake) के झटकों डर भी बना हुआ है। वहीं सोशल मीडिया पर भूकंप को लेकर कई प्रकार के मीम्स और अफवाहें भी फैल रही हैं। ऐसे में किसी अफावह पर ध्यान न देते हुए सभी को इसकी तथ्यात्मक जानकारी हासिल करनी चाहिए। 

जानकार बताते हैं कि दिल्ली की जमीन के नीचे एक प्राचीन चट्टान समूह है। इसे प्रीकैम्ब्रियन काल का कहा जाता है, जिसमें क्वार्टजाइट, सीस्ट, ग्रेनाइट या पैगमाटाइट समूह होते हैं। अगर भारत के भूकंपीय क्षेत्र की बात करें तो दिल्ली जोन 4 में आता है जो संवेदनशील है। यहां भूकंप की उच्च संभावना है, लेकिन इससे भी अधिक संवेदनशील क्षेत्र उत्तर पूर्व में हिमालय, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्रों में आते हैं। दिल्ली में एक बड़ी आबादी है, इसलिए हल्के झटके भी लोगों को बेचैन करते हैं।

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ये है लगातार भूकंप आने का कारण
विशेषज्ञों का कहना है कि सैटेलाइट मैप को देखने से पता चलता है कि दिल्ली का जमीनी स्तर फिसल रहा है। इस स्तर के विन्यास को एक्लॉन फॉल्ट कहा जाता है। यह इस तरह है, जैसे कई साइकिलों को एक दूसरे के बगल में सटाकर पार्क किया गया है और हल्के से झटके के कारण सभी साइलकिल एक के बाद एक गिरती चली जाती हैं।

दिल्ली का स्तर विन्यास भी ठीक इसी प्रकार का है। जिसमें क्वार्टजाइट या सिस्ट की सतह है। जरा सा झटका लगने पर ये सरफेस एक दूसरे के ऊपर गिर सकते हैं। यही कारण है कि 1 महीने में दिल्ली में भूकंप के इतने झटके महसूस किए गए।

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असोला भाटी सेंचुरी से बहादुरगढ़ तक एक फॉल्ट हुआ विकसित
विषेज्ञ बताते हैं कि भूकंपीय माइक्रोज़ोनेशन 1957 में किया गया था, जिसमें यह पाया गया था कि दिल्ली हरिद्वार हर्षल रिज जो कि हिमालय से जुड़ता है, जिस पर दिल्ली के कई महत्वपूर्ण इलाके बसे हुए हैं, एक संवेदनशील क्षेत्र है। लेकिन एक नया दोष भी विकसित हो रहा है। यह दोष असोला भाटी सेंचुरी से बहादुरगढ़ तक है। इसकी गहराई ज्यादा नहीं है, इसलिए थोड़ी सी भी बारिश होने पर नमी बढ़ जाती है और पृथ्वी में प्रवेश कर जाती है और पत्थर गीला हो जाता है और हिलने लगता है।  जिसके कारण भी भूकंप के झटके महसूस किए जा सकते हैं।

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