Wednesday, Dec 06, 2023
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भारत के पहले कोरोना मरीज की मौत आखिर क्यों आई विवादों में?

  • Updated on 4/24/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारत में कोरोना के कारण अब तक 723 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि संक्रमण का आंकड़ा 23 हजार के पार जा चुका है। इस बीच भारत में होने वाली पहले कोरोना मरीज को लेकर विवाद शुरू हो गया है। ये विवाद मरीज के परिवार और अस्पताल की तरफ से दावों के बीच हुआ है।

बताया जा रहा है कि भारत में कोरोना की वजह से सबसे पहले 76 साल के बुजुर्ग की मौत हुई थी। यह मौत गुलबर्गा में हुई थी। लेकिन इस बुर्जुग के परिवार का दावा है कि उनकी मौत कोरोना से नहीं हुई।

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ऐसी हुई थी शुरुआत
बताया जाता है कि फरवरी की आखरी तारीख के दिन मुहम्मद हुसैन सिद्दीक़ी अपने छोटे बेटे के पास लौट कर भारत आ रहे थे। उनका बेटा डेंटिस्ट के तौर पर सऊदी अरब के जेद्दा में काम करता है। जब वो लौटे तो भारत आते हुए उनका चेहरा थका हुआ था लेकिन परिवार को देख वो मुस्कुराये और अपने घर को रवाना हो लिए।

वो चार घंटे की यात्रा करते, रास्ते हर खाते पीते हुए गुलबर्गा पहुंचे। उनके बड़े बेटे हामिद फ़ैज़ल सिद्दीक़ी का कहना था कि वो ठीक थे, उन्होंने भी हमे यही बताया था लेकिन 10 दिन बाद ही उनके पिता इस दुनिया से चले गये। डॉक्टरों ने कहा कि वो कोरोना के शिकार थे और ये भारत में कोरोना से होने वाली पहली मौत थी।

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इसलिए हुआ विवाद
परिवार ने बताया कि भारत आने के एके हफ्ते बाद उनके पिता को लगा कि वो बीमार है, उनकी सांस उखड़ रही थी और इसके ठीक तीन दिन वो चल बसे। बताया जा रहा है मृतक के बीमार होने के दो दिन में परिवार ने उन्हें कम से कम दो शहरों के चार अस्पतालों में दिखा लिया था, पांचवे अस्पताल में जाते वक़्त ही उनका रास्ते में दिहांत हो गया।

इसके बाद अधिकारीयों ने बताया कि उन्हें कोरोना था। लेकिन परिवार इसे सच नही मान रहा वो कहते हैं कि हम कभी नहीं मान सकते कि उन्हें कोरोना था, अगर ऐसा था भी तो हमें डेथ सर्टिफिकेट अभी तक क्यों नही दिया गया!

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अलग दावों और बयानों से हुआ विवाद
बताया जा रहा है कि मृतक का परिवार जहां भी उन्हें दिखाने ले गया वहां के हर डॉक्टर ने अलग अलग सलाह दी और कहीं और के लिए रेफर कर दिया। लेकिन किसी ने यह शक भी नहीं जताया कि उन्हें कोरोना है या शंका है। मौत के बाद जब उन अस्पतालों और डॉक्टरों से पूछाताछ की गई तो उनका कहना था कि परिवार गलत बोल रहा हैं उन्होंने उन्हें सरकारी अस्पताल जाने को कहा था।

इस बारे में परिवार को निजी अस्पताल से मिले डिस्चार्ज नोट में कहा गया है कि सिद्दीक़ी के दोनों फेफड़ों में निमोनिया था। हाइपरटेंशन के भी शिकार थे। लेकिन कोरोना होने का कहीं कोई आंशका भी नहीं जताई गई।

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चुपचाप दफनाना पड़ा
विवाद के बीच और डॉक्टरों द्वारा पिता को भारत के पहले कोरोना मरीज कहे जाने और टीवी से जब मृतक के बेटे को पता चला कि वो भारत में पहले कोरोना से मरने वाले मरीज थे तो उन्होंने अपने पिता की लाश को चुपचाप से दफना दिया। अब परिवार के पास कुछ नही है ये साबित करने के लिए कि उनके पिता कोरोना के शिकार नहीं थे क्योंकि अब देश जानता है कि वो कोरोना से मरने वाले भारत के पहले मरीज थे। 

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